पिछले अठारह महीनों ने हैदराबाद विश्वविद्यालय को देश के शीर्ष दस संस्थानों के बीच ठहराया.
इंडिया टुडे, द वीक, करियर 360 (आउटलुक समूह), क्यूएस वर्ल्ड रैंकिंग, अमेरिका न्यूज़ एंड रिपोर्ट्स, URAP (विश्वविद्यालय शैक्षणिक प्रदर्शन रैंकिंग) – (मध्य पूर्व), यू मल्टी रैंक (जर्मनी), NIRF (राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क) 2016, नेचर इंडेक्स आदि के द्वारा किए गए सर्वेक्षणों ने अनुसंधान, प्रकाशन, पेटेंट, छात्र उपलब्धियाँ, प्लेसमेंट और आउटरीच जैसे मानदंड़ों के आधार पर हैदराबाद विश्वविद्यालय को अपनी रैंकिंगों में शीर्ष स्थान दिया.
2015-16 अवधि के दौरान हैदराबाद विश्वविद्यालय को विभिन्न एजेंसियों द्वारा दिए गए रैंक –
क्यूएस वर्ल्ड रैंकिंग के अनुसार : वर्ष 2016 के लिए अंग्रेजी, रसायन विज्ञान और भौतिकी में विश्व का सबसे अच्छा अध्ययन केंद्र.
अमेरिका न्यूज़ एंड रिपोर्ट्स के अनुसार : वर्ष 2016 के लिए वैश्विक संस्थाओं में 13 वाँ और भारत के विश्वविद्यालयों में आठवाँ स्थान.
URAP (विश्वविद्यालय शैक्षणिक प्रदर्शन रैंकिंग) – (मध्य पूर्व) के अनुसार : वर्ष 2016 के लिए भारत के सर्वश्रेष्ठ वैश्विक विश्वविद्यालयों के बीच आठवाँ स्थान.
यू मल्टी रैंक (जर्मनी) के अनुसार : वर्ष 2016 के लिए विश्व स्तर पर अनुसंधान प्रकाशनों के लिए और पेटेंटों के लिए क्रमश: पहला और दूसरा स्थान.
NIRF, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार के अनुसार : वर्ष 2016 के लिए भारत के विश्वविद्यालयों के बीच चौथा स्थान.
नेचर इंडेक्स के अनुसार : वर्ष 2016 के लिए समग्र में आठवाँ और भारत के विश्वविद्यालयों के बीच प्रथम स्थान.
करियर 360 के अनुसार : वर्ष 2016 के लिए समग्र में सातवाँ और भारत के विश्वविद्यालयों के बीच प्रथम स्थान.
द वीक के अनुसार : वर्ष 2016 के लिए भारत के विश्वविद्यालयों के बीच चौथा स्थान.
इंडिया टुडे के अनुसार : वर्ष 2015 के लिए भारत के विश्वविद्यालयों के बीच छठा स्थान.
विसिटर्स पुरस्कार : देश के सर्वश्रेष्ठ केन्द्रीय विश्वविद्यालय के लिए माननीय राष्ट्रपति द्वारा संस्थापित पहला विसिटर्स पुरस्कार वर्ष 2015 के लिए हैदराबाद विश्वविद्यालय को दिया गया.
हैदराबाद विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने और उनके अनुसंधानों ने उच्च रैंकिंग लाने में महत्वपूर्ण योगदान किया है. विश्वविद्यालय के शिक्षक हमेशा अनुसंधानों का एक अभिन्न हिस्सा रहे हैं. सरकारी और निजी एजेंसियों के राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय धन निकायों ने इन अनेक अनुसंधान परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता की, जिससे छात्रों को विषय के नवीनतम ज्ञान को हासिल कर अपने अनुसंधानों को अंजाम देने में बड़ी सफलता मिली. इसी के फलस्वरूप आज विश्वविद्यालय विकास के चरम स्थान पर है. इस प्रकार अनुसंधानों पर जोर देने के कारण 1977-78 वर्ष के दौरान पीएचडी पाठ्यक्रम में दाखिला लेने वाले शोध-छात्रों की संख्या केवल 16 थी वही संख्या 1990-91 में 473 तक पहुँची और अब वर्ष 2015-16 में 1666 तक आ गई. इनके साथ विश्वविद्यालय के एम.टेक. के अलावा एम.फिल. में 350 छात्र मौजूद हैं.
पूर्व अपेक्षित महत्वपूर्ण सोच कौशलों को विकसित करने के कारण छात्र यूजीसी के कई विशेष सहायता कार्यक्रम जैसे – डीबीटी, डीएसटी, आईसीएसएसआर आदि में सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं.
विश्वविद्यालय ने स्वतंत्र अनुसंधान और विकास इकाई की संरचना की, जो समस्त अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों से संबंधित सभी प्रशासनिक प्रक्रियाओं को एक साथ जोड़ता है. इसका कार्य अनुसंधान एवं विकास समन्वयक के मार्गदर्शन में चलता है. इस प्रकार अभिनव पहल के अस्तित्व में आने के बाद अनुसंधान प्रशासन की प्रथाओं में अभूतपूर्व परिणाम आने लगे. विश्वविद्यालय अब परियोजना प्रबंधन में ई-गवर्नेंस लाने का दावा भी करता है.
विश्वविद्यालय समुदाय की अनुसंधान उत्पादकता को बढ़ाने और उनमें पूर्ण जोश भरकर अनुसंधान गतिविधियों में उत्साह के साथ भाग लेने के उद्दश्य से वित्त पोषित परियोजनाओं में परेशानी मुक्त प्रशासन लाया गया.
विश्वविद्यालय अपने सभी शिक्षकों को शोध प्रस्ताव तैयार करते समय किए गए प्रारंभिक खर्चों को पूरा करने के लिए उन्हें व्यावसायिक विकास कोष (पीडीएफ) भी देता है. संकाय शक्ति और उद्योग की आवश्यकता को पूरा करने के लिए उद्योग विश्वविद्यालय नेटवर्क ने विश्वविद्यालय में अनुसंधान एवं विकास इकाई को स्थापित किया. संकाय और शोध छात्रों को प्रोत्साहित कर उनके नवाचारों का व्यवसायीकरण करने के उद्द्श्य से विश्वविद्यालय में विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार के द्वारा प्रौद्योगिकी व्यापार ऊष्मायन (TBI) केंद्र भी स्थापित किया गया. व्यापार उद्यम की स्थापना को अनुकूल बनाने के लिए नाममात्र शुल्क पर विश्वविद्यालय अपने समुदाय के लिए TBI पर प्रयोगशाला सुविधा को उपलब्ध करता है. हैदराबाद विश्वविद्यालय अपनी बुनियादी सुविधाओं को और अनुसंधान प्रक्रियाओं में सुधार लाकर उन्हें मजबूत करने के लिए कठिन प्रयास कर रहा है. विश्वविद्यालय ने अपनी बुनियादी सुविधाओं को मजबूत करने के उद्देश्य से अध्यापन कार्यों के अलावा अनुसंधान कार्यों के समर्थन हेतु वर्ष 2016-17 के लिए रुपए 17 करोड़ का अधिक प्रावधान किया है. आने वाले वर्षों में हैदराबाद विश्वविद्यालय विद्वानों के लिए एक अनोखा गंतव्य और नए आविष्कारों के लिए अपनी मंजिल के रूप में जाना जाएगा.
विज्ञान और अभियांत्रिकी अनुसंधानों में हैदराबाद विश्वविद्यालय ने 42 पेटेंटों के लिए नामांकित कर चुका है, जिसमें 17 (भारतीय और अंतरराष्ट्रीय) जारी किए गए. जारी किए गए सत्रह पेटेंटों में नौ संकाय सदस्यों को दिए गए, जिसमें 5 भारतीय हैं; 10 अमेरिकी हैं; 3 यूरोपीय रहे हैं और 1 कनाडा का पेटेंट है. इन पेटेंटों में से कुछ भारत, अमेरिका, यूरोप और कनाडा में अनुमोदित हैं. हमारे पेटेंटों में से तीन व्यावसायीकरण के लिए बायोटेक कंसोर्टियम ऑफ इंडिया लिमिटेड (BCIL) को सौंपे गए हैं.
अपने अध्यापन विषयों की विस्तृत श्रृंखला, शिक्षकों और अनुसंधानों के कारण देश के सबसे नवीन और जीवंत विश्वविद्यालयों में हैदराबाद विश्वविद्यालय का नाम सबसे आगे लिया जाता है. विश्वविद्यालय के संकाय दुनिया के सबसे अच्छे शिक्षकों में गिने जाते हैं. फिलहाल विश्वविद्यालय में 253 करोड़ रुपये मूल्य की 246 परियोजनाएँ चल रहीं हैं. जिसमें जीव विज्ञान संकाय में – 67 करोड़ रुपए, ACHREM – 57.50 करोड़ रुपए, रसायन विज्ञान संकाय में – 37.55 करोड़ रुपए, डीएसटी पर्स अनुदान दूसरे चरण में – 32.80 करोड़ रुपए, भौतिकी संकाय में -24.52 करोड़ रुपए की और अन्य सभी संकायों तथा केंद्रों में लगभग 34 करोड़ रुपयों की अनुसंधान परियोजनाएँ चल रही हैं.
हैदराबाद विश्वविद्यालय के संकाय, शोध छात्र और कर्मचारी आने वाले वर्षों में अनुसंधानों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को जारी रखेंगे और अपनी कर्मठता एवं उद्योगशीलता से अपने विश्वविद्यालय को विश्वस्तरीय बनाकर रहेंगे.