तंत्रिका और संज्ञानात्मक विज्ञान केंद्र, हैदराबाद विश्वविद्यालय ने हाल ही में Butterfly effects in Perceptual Development पर एम.आई.टी, यू.एस.ए, मस्तिष्क और संज्ञानात्मक विज्ञान विभाग में विजन और कम्प्यूटेशनल न्यूरोसाइंस के प्रो. पवन सिन्हा के ऑनलाइन व्याख्यान का आयोजन किया. 5 अगस्त, 2021 को तंत्रिका और संज्ञानात्मक विज्ञान केंद्र द्वारा ऑनलाइन विशिष्ट व्याख्यान श्रृंखला के अंतर्गत ‘कॉगटॉक’ बैनर के अधीन उपरोक्त व्याख्यान का आयोजन किया गया. प्रो. रमेश मिश्रा, अध्यक्ष, तंत्रिका और संज्ञानात्मक विज्ञान केंद्र ने व्याख्यान का संचालन किया. ‘कॉगटॉक’ मन और मस्तिष्क विज्ञान से संबंधित विशिष्ट वक्ताओं के व्याख्यान / वार्तालाप सत्रों के लिए एक अंतःविषयक मंच है. इसका उद्देश्य छात्रों, शोधकर्ताओं, संकाय-सदस्यों को संज्ञानात्मक विज्ञान में शामिल करना और अनुसंधान क्षेत्रों के बारे में जागरूकता फैलाना है ताकि अभिनव प्रश्न पूछे जाएँ और उनके समाधान के लिए वास्तव में अंतःविषयक विचारों/विधियों का उपयोग किया जाए.

व्याख्यान का मुख्य बिंदु यह था कि शैशवावस्था में प्रारंभिक अवस्था में दृष्टि का असामान्य विकास बाद में अवधारणात्मक प्रसंस्करण को कैसे प्रभावित करता है. अपनी प्रयोगशाला से केस स्टडी के आधार पर प्रो. सिन्हा ने बताया किया कि बच्चों में पहचान में कठिनाइयाँ कभी-कभी शैशवावस्था में होने वाली शिक्षा से संबंधित हो सकती हैं. विशेष रूप से, विकास के प्रारंभिक चरणों में उच्च तीक्ष्णता दृष्टि कभी-कभी वैश्विक प्रसंस्करण में कमियों के कारण जीवन के बाद के चरणों में खराब पहचान प्रदर्शन का कारण बन सकती है. व्याख्यान के बाद संचालक तथा दर्शकों के साथ एक सार्थक चर्चा हुई. इस तरह के दृश्य प्रसंस्करण की कमियों और ध्यान के बीच संबंध पर सवाल थे कि क्या इन कमियों के विकासात्मक पहलुओं को ध्यान के अध्ययन के दायरे में लाया जा सकता है.

यह अंतःविषयक पहल उच्च शिक्षा में क्षमता निर्माण पर चल रहे iBrain Erasmus एवं बहु-संस्थागत परियोजना का हिस्सा है, जिसके समन्वयकों में से एक प्रो. रमेश मिश्रा हैं.

सीमा प्रसाद, सीनियर प्रोजेक्ट एसोसिएट, तंत्रिका और संज्ञानात्मक विज्ञान केंद्र ने योगदान किया.