इंडिया टुडे द्वारा हैदराबाद विश्वविद्यालय को भारत के शीर्ष सरकारी विश्वविद्यालयों में दूसरा स्थान दिया गया है और यह समाचार उनकी पत्रिका के 10 अगस्त, 2020 के अंक में छपा है. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय को प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है. हैदराबाद विश्वविद्यालय को यह शीर्ष रैंक एमडीआरए (मार्केटिंग एंड डेवलपमेंट रिसर्च एसोसिएट्स) द्वारा किए गए सर्वेक्षण में दिया गया है. इस सर्वेक्षण में विश्वविद्यालयों को चार मानकों पर जाँचा गया – सामान्य (कला, विज्ञान और वाणिज्य), तकनीकी, चिकित्सा और विधि. जो विश्वविद्यालय इन विषयों में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम चलाते हैं, उन पर भी विचार किया गया.
इन रैंकिंग्स पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कुलपति महोदलय प्रो. अप्पा राव पोदिले ने कहा, “यह बहुत ही अच्छी बात है कि विश्वविद्यालय को अपने उत्कृष्ट कार्य और शोध के कारण ख्याति मिल रही है. वर्ष 2017 में हम 5वें और 2018 में तीसरे स्थान पर थे. 2019 में हमें दूसरा स्थान दिया गया, जिसे हमने 2020 में भी बरकरार रखा है. भविष्य में और बेहतर कार्य करना हम सबके लिए एक चुनौती है. मुझे विश्वास है कि हम इस वृद्धि को जारी रखेंगे. प्रतिष्ठित संस्थान के रूप में है.वि.वि. उत्कृष्ट शिक्षा और शोध के क्षेत्र में अच्छा काम करता रहेगा और हमें आशा है कि बेहतरीन सुविधाओं के चलते हम विश्व के सर्वोत्कृष्ट विश्वविद्यालयों में अपनी जगह बना पाएँगे.”
इंडिया टुडे सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय सर्वेक्षण में 955 विश्वविद्यालयों की सूची है, जिनमें 155 राष्ट्रीय महत्व के संस्थान भी शामिल हैं. इंडिया टुडे-एमडीआरए की सर्वेक्षण पद्धति विशिष्ट है. विश्वविद्यालयों में तुलना करने के लिए एमडीआरए ने 120 से भी अधिक मानक निर्धारित किए थे. इन्हें मोटे तौर पर पाँच वर्गों में बाँटा गया था – प्रतिष्ठा और गवर्नेंस, शिक्षा और शोध का उत्कर्ष, आधारभूत सुविधाएँ और आवासीय अनुभव, व्यक्तित्व एवं नेतृत्व विकास तथा करियर प्रगति और रोज़गार. इस सर्वेक्षण में 30 शहरों के 300 विज्ञ व्यक्तियों ने भाग लिया. (32 कुलपति, 75 निदेशक/संकाय-अध्यक्ष/कुलसचिव, 193 वरिष्ठ शिक्षक/विभागाध्यक्ष)
अंतिमत: 130 विश्वविद्यालयों की रैंकिंग की गई. उनके अनुभव के क्षेत्र के आधार पर उनकी राष्ट्रीय और क्षेत्रीय रैंकिंग लेकर उसे क्रमश: 75% और 25% अंक दिए गए. पाँचों मानकों पर विश्वविद्यालयों को 10 अंक आधारित पद्धति पर भी अंक दिए गए.
शोधकर्ताओं, सांख्यिकीविदों, विश्लेषकों और सर्वेक्षण दलों ने मिलकर दिसंबर, 2019 से जुलाई, 2020 तक इस परियोजना पर काम किया.