15 मार्च से 4 अप्रैल 2022 तक अमेरिका में स्थित ‘साइंस गुरुज़’ (http://sciencegurus.org/) नामक एक गैर-लाभ संगठन के सहयोग से एफ.ए.बी.ए. (फेडरेशन ऑफ एशियन बायोटेक एसोसिएशन) अकादमी (http://biofaba.org.in/) और हैदराबाद विश्वविद्यालय (https://uohyd.ac.in/) द्वारा ‘औषध अन्वेषण और विकास -2022’ पर कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस कार्यशाला में औषध अन्वेषण और विकास की प्रक्रिया संबंधी सभी पहलुओं के साथ–साथ औषधों के पुनर्प्रयोजन और बौद्धिक संपदा सहित विकास प्रक्रियाएँ आदि पर एक व्यापक विश्लेषण किया गया.

21-दिवसीय गहन कार्यशाला में 9 सत्र थे, जिनमें 40 से ज्यादा राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय वक्ता शामिल थे तथा इसमें न केवल भारत से बल्कि पाकिस्तान, बांग्लादेश, नाइजीरिया, ईरान और इथियोपिया से भी लगभग 80 प्रतिभागियों ने भाग लिया था. इसके अलावा, इसमें बायोटेक और फार्मा स्टार्टअप्स की उपलब्धियों जानकारी भी दी गई. कार्यशाला में कम्प्यूटेशनल संरचना-आधारित ड्रग डिजाइन, बायोमेडिकल ड्रग डिस्कवरी के लिए मशीन लर्निंग, जीनोमिक्स और ट्रांसक्रिपटॉमिक्स में व्यावहारिक प्रशिक्षण मापांक भी प्रदान किए गए.

“यह सीखने का 21 दिन का त्योहार है; आप न केवल नई चीजों के बारे में सीखेंगे बल्कि नए सिरे से सोचना भी शुरू करेंगे.” ‘औषध अन्वेषण और विकास 2022’ के मुख्य अतिथि के रूप में उद्घाटन समारोह के दौरान उपस्थितों को संबोधित करते हुए हैदराबाद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.जे. राव ने कहा, “वक्ताओं के बारे में उत्सुक मत बनिए, विचारों के बारे में उत्सुक रहें.”

आयोजकों को प्रतिभागियों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली, जिन्होंने वास्तव में इस कार्यशाला के मूल्य को अपने जीवन में जोड़ा. इसके पूरे पाठ्यक्रम के अधीन प्रतिभागियों को उनकी रुचि से संबंधित किसी भी विषय पर अपना काम प्रस्तुत करने का अवसर दिया गया और पाँच प्रतिभागियों को सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुति पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया. पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं में डॉ. ज्योत्स्ना मदन, ऑरिजीन; सुश्री निवेदिता, अन्ना विश्वविद्यालय चेन्नई; सुश्री मौनीप्रिया, एक्सआरएनए थेरेप्यूटिक्स, अज़ीज़ मंदसौरवाला, एमिटी यूनिवर्सिटी, और डॉ. विधुला अहिरे, जे माइकल बिशप इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर रिसर्च आदि शामिल थे. अंत में, एफएबीए के कार्यकारी परिषद के सदस्य डॉ. अजित कामथ ने समापन टिप्पणी प्रस्तुत की और 21 दिनों के लर्निंग फेस्टिवल में उपस्थित सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद ज्ञापित किया.

कार्यशाला का संकल्प:

भारतीय फार्मा और बायोफार्मा उद्योगों को अग्रणी नवाचारों के प्रति उद्यमशीलता, जोखिम लेने और सहयोगात्मक मानसिकता पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है.

नवोन्मेषी दवाओं की खोज में तेजी लाने और भारतीय और वैश्विक बाजारों में नई दवाएँ लाने के लिए नियामक और नैदानिक परीक्षण चुनौतियों का समाधान करें.

युवा वैज्ञानिकों को अपने करियर के निर्माण के अवसर के रूप में वैज्ञानिक चुनौतियों का पता लगाने के साथ-साथ विज्ञान और नवाचार में देश की प्रगति में योगदान देने की आवश्यकता है.

 

पैनल चर्चा का वीडियो लिंक : https://drive.google.com/file/d/1lU7NMXttjULpgEje4PgBaP6s2jGO2Y4d/view

प्रतिभागियों की प्रतिक्रिया – डीडीडी कार्यशाला-लिंक:

https://drive.google.com/file/d/1-aZeE-fg7vc47Ws2EMbRJwbjs9bfAEmI/view