कोविड ने जो चुनौतियाँ हमारे सामने रखीं, उनमें सबसे बड़ी चुनौती ऑनलाइन शिक्षा से संबंधित है. न केवल गरीबी, बल्कि महामारी के दौरान डिजिटल विभाजन का विकराल रूप भी सामने आया. ऐसे समय में ई-लर्निंग को सुनिश्चित करने में सरकारों की विफलता और प्रभावित छात्रों के संकट और अवसाद के बारे में हमें नित नई बातें सुनने को मिल जाती हैं. मंजू एडाचिरा तथा डिकेंस लियोनार्ड अपने जूनियर्स को लैपटॉप दान करने के लिए आगे आए. अपने शोध-प्रबंध को पूर्ण करने में एम.ए. छात्रों की कठिनाइयों के बारे में चिंतित, डॉ. मंजू और डॉ. डिकेंस ने अपने लैपटॉप तुलनात्मक साहित्य केंद्र (सीसीएल), हैदराबाद विश्वविद्यालय को दान किए हैं, ताकि जरूरतमंद छात्र इसे उधार ले सकें और अपने शोध कार्य को पूरा करने के लिए इनका इस्तेमाल कर सकें.

डॉ. मंजू तथा डॉ. डिकेंस, दोनों ही तुलनात्मक साहित्य केंद्र के ही पूर्व छात्र हैं और उन्होंने कुछ समय के लिए है.वि.वि. में काम किया है. उनके इस कार्य के प्रति आभार और प्रसन्नता व्यक्त करते हुए विभाग की अध्यक्ष प्रो. सौम्या देचम्मा ने कहा, “यह सहायता का एक छोटा सा कार्य हो सकता है, लेकिन मंजू और लेनी के कार्यों से कई लोग प्रेरित हो सकते हैं और कई छात्र लाभान्वित भी हो सकते हैं.”

जनवरी 2021 में डॉ. लियोनार्ड ने आईसीएसएसआर अनुसंधान संस्थान, जिसे सामाजिक विज्ञान अध्ययन केंद्र (सीएसएसएस), कोलकाता कहा जाता है, में सांस्कृतिक अध्ययन में सहायक प्रोफेसर के रूप में कार्यभार ग्रहण किया. मंजू और लेनी दोनों भारत में जाति-विरोधी बौद्धिक विचारों और तुलनात्मक संस्कृति के अध्ययन एवं अनुसंधान में काफी रुचि रखते हैं और प्रेरित भी हैं.

निमिषा एस. प्रदीप, संचार विभाग ने उपरोक्त रचना में योगदान किया है.