भारत के महामहिम राष्ट्रपति श्री. रामनाथ कोविंद ने पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति एल. नरसिम्हा रेड्डी को हैदराबाद विश्वविद्यालय के 12वें कुलाधिपति के रूप में नियुक्त किया है.

न्यायमूर्ति एल. नरसिम्हा रेड्डी को डॉ. सी. रंगराजन के स्थान पर तीन साल की अवधि के लिए कुलाधिपति के रूप में नियुक्त किया गया है.

1 अगस्त, 1953 को वरंगल जिले के गेविचेरला गाँव में एक कृषक परिवार में न्यायमूर्ति एल. नरसिम्हा रेड्डी जी का जन्म हुआ. जिला परिषद हाई स्कूल, संगम में उनकी प्राथमिक शिक्षा हुई. सरकारी जूनियर कॉलेज, नरसमपेट में इंटरमीडिएट किया तथा सी.के.एम. कॉलेज, वरंगल से बी.एससी. की डिग्री प्राप्त की. उस्मानिया विश्वविद्यालय से कानून में स्नातक डिग्री के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय कानून में स्नातकोत्तर डिग्री भी प्राप्त की. फरवरी, 1979 में उन्होंने बार-काउंसिल ऑफ ए.पी. में नाम दर्ज कर लिया और श्री. पी. बाबुल रेड्डी के कार्यालय में शामिल हो गए. दिसंबर, 1983 में श्री. बाबुल रेड्डी द्वारा प्रैक्टिस छोड़ देने तक वे उनके साथ बने रहे. तदनंतर जनवरी, 1984 से व्यक्तिगत तौर पर प्रैक्टिस शुरू की तथा लगभग पूरी तरह से आं.प्र. उच्च न्यायालय में ही सेवारत रहे. सिविल और संवैधानिक शाखाओं में कई मामलों की वकालत आपने की है. उस्मानिया विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर विधि महाविद्यालय में अंशकालिक व्याख्याता के रूप में काम किया तथा डेढ वर्ष तक एल.एल.एम. अंतराष्ट्रीय कानून विद्यार्थियों को पढ़ाया. उन्हें वर्ष 1985 में दो साल के लिए उस्मानिया विश्वविद्यालय के स्थायी वकील के रूप में भी नियुक्त किया गया था. 1988-89 और 1989-90 के दौरान आं.प्र. उच्च न्यायालय एडवोकेट संघ के सचिव के रूप में भी निर्वाचित हुए थे. इसके अलावा आपने न्यायालय की मानहानि जैसे लेख भी प्रकाशित किए हैं. बाबुल रेड्डी फाउन्डेशन न्यास के सचिव भी रहे. वर्ष 1991 में उच्च न्यायालय का प्रतिनिधित्व करने के लिए वकीलों के पैनल में शामिल किया गया था और 1996 तक उसमें सेवारत रहे. उन्हें 1996 में आं.प्र. के उच्च न्यायालय में उच्चतर शिक्षा के लिए सरकारी वकील के रूप में नियुक्त किया गया और जनवरी 1997 में इस्तीफा देने तक लगभग एक साल तक आपने काम किया. वरंगल जिला सहकारी सेंट्रल बैंक के स्थायी वकील भी रहे. उन्हें जुलाई, 2000 में आं.प्र. उच्च न्यायालय में भारत सरकार द्वारा वरिष्ठ केंद्रीय सरकार स्थायी वकील के रूप में नियुक्त किया गया तथा 10.09.2001 को आं.प्र. उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुए.