11 फरवरी, 2015 को हैदराबाद विश्वविद्यालय के रामन सभागार में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित प्राचार्य आर. राजारामन ने ‘The Continuing Saga of the Nuclear Deal’ पर एक विशिष्ट व्याख्यान प्रस्तुत किया. इस अवसर पर प्रो. एम. शिवकुमार ने वक्ता का परिचय दिया.

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अपना व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए प्रो. राजारामन ने भारत-अमेरिका परमाणु समझौते से संबंधित विभिन्न पहलुओं के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि वास्तव में परमाणु समझौते की शुरूआत तो 2005 में हुई थी और 2008 में हस्ताक्षर भी किए गए थे, लेकिन इसे पिछले एक दशक से ठंडे बस्ते में डाला गया है. आगे उन्होंने अपनी मंशा अभिव्यक्त करते हुए कहा कि ओबामा की भारत यात्रा के बाद हम इस दिशा में आगे बढ़ सकते हैं.

इस क्षेत्र में भारत जैसे विकासशील देशों की समस्याओं पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इस विषय से संबंधित मूलतः चार समस्याएँ महत्वपूर्ण हैं जो इस क्षेत्र में हमें अग्रसर होने से हमें रोक रही हैं. ये समस्याएँ हैं – अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत पर लगाए गए प्रतिबंध, परमाणु अप्रसार, धनराशि की अनुपलब्धता और अंतिम है – यूरेनियम की कमी. प्राचार्य आर. राजारामन ने इन समस्याओं के समाधान पर भी चर्चा की.