भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर) तिरुपति, आंध्र प्रदेश में वरिष्ठ प्रोफेसर, जीवविज्ञान के पीठासीन एवं संकाय अध्यक्ष के रूप में सेवारत प्रो. बासुतकर जगदीश्वर राव ने 26 जुलाई 2021 को हैदराबाद विश्वविद्यालय के कुलपति का कार्यभार ग्रहण किया. उनकी नियुक्ति 5 वर्ष की अवधि या 70 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो, की होगी.

 

प्रो. राव आईआईएसईआर में नियुक्त होने से पूर्व टीआईएफआर, मुंबई में कई वर्षों तक वरिष्ठ प्रोफेसर और जीवविज्ञान के पीठासीन अध्यक्ष थे तथा आपने टीआईएफआर में जीनोम डायनेमिक्स और कोशिकीय अनुकूलन प्रयोगशाला संबंधी कार्यक्रमों का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया है. उनकी विशेषज्ञता के क्षेत्रों में जीनोम गतिकी का आणविक आधार, जीनोम का कम्प्यूटेशनल जीव विज्ञान और प्रोटीन सक्रिय साइट, सेलुलर शरीर क्रिया विज्ञान और चयापचय – इत्यादि शामिल हैं, जिनमें उन्होंने मौलिक योगदान किया है. जीव विज्ञान के क्षेत्र में अपने शोध के अलावा, वैज्ञानिक ज्ञान के प्रसार और आउटरीच गतिविधियों में भी वे रुचि रखते हैं. उन्हें 1371 उद्धरणों के साथ 130 प्रकाशनों का श्रेय जाता है.

13 मार्च, 1956 को जन्मे प्रो. राव को राष्ट्रीय विज्ञान प्रतिभा पुरस्कार (एनसीईआरटी) के भारत में 16 वें रैंक और तत्कालीन संयुक्त आंध्र प्रदेश में प्रथम रैंक से सम्मानित किया गया. निजाम कॉलेज में बीएस.सी. स्नातक किया और उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद से एमएस.सी. की उपाधि प्राप्त की तथा दोनों में विश्वविद्यालय स्वर्ण पदक प्राप्त किए. इसके बाद उन्होंने भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरू से जैव रसायन में पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की. इसके बाद उन्होंने येल मेडिकल स्कूल में सात साल तक शोध वैज्ञानिक के रूप में काम करते हुए अपना पोस्टडॉक्टोरल पूर्ण किया. भारत लौटने के बाद, उन्होंने कई वर्ष तक टीआईएफआर में अपनी सेवाएँ प्रदान कीं.

 

भारत के सभी (तीन) राष्ट्रीय अकादमियों के आप सदस्य हैं और विज्ञान व प्रौद्योगिकी विभाग, भारत के सर जे.सी. बोस के फैलो भी हैं. इसके अलावा प्रो. राव विभिन्न समितियों के मुख्य सदस्य और सलाहकार हैं. उन्होंने कई पुरस्कार और फैलोशिप प्राप्त की हैं. भारतीय विज्ञान अकादमी तथा स्प्रिंगर नेचर के जर्नल ऑफ बायोसाइंस के मुख्य-संपादक हैं.

उन्होंने डीएसटी-इंस्पायर शिक्षक के रूप में पूरे भारत में स्नातक छात्रों में वर्तमान बुनियादी जीवविज्ञान के प्रति प्रोत्साहन पर बल दिया है. भौतिकी-रसायन विज्ञान की एक गतिशील प्रणाली की जटिल अभिव्यक्ति के रूप में वे जीवविज्ञान को देखते हैं और जीवविज्ञान में प्रस्तुत  सिद्धांतों पर जोर देते हैं. उन्होंने विभिन्न श्रोतावर्ग के लिए कई तकनीकी और सार्वजनिक व्याख्यान दिए हैं. युवाओं के मन-मस्तिष्क तक पहुँचना उनको भाता है, जो कार्य वे अगस्त्य फाउंडेशन, कुप्पम में कर रहे हैं.