7 हैदराबाद विश्वविद्‌यालय के तुलनात्मक साहित्य केंद्र ने साहित्य अकादमी के सहयोग से ‘बहुभाषिकता और भारत की साहित्यिक संस्कृति’ (Multilingualism and the Literary Culture of India) विषय पर मानविकी संकाय के सभागार में एक तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया. दि. 27 मार्च 2014 को उद्‌घाटन सत्र में सुश्री गीतांजलि चॅटर्जी, साहित्य अकादमी की उप सचिव ने सभी को संबोधित किया. डॉ. के. श्रीनिवास राव, साहित्य अकादमी के सचिव ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया. प्रो.शिव के. कुमार, विख्यात कवि ने इस सत्र की अध्यक्षता की और प्रो. के. सच्चिदानंदन ने कार्यक्रम का शुभारंभ किया. उन्होंने कहा कि बहुभाषिकता भारत की विशेषता है और कई सदियों से यहाँ मौजूद है. 6 प्रसिद्‌ध साहित्यकार प्रो. हरीश त्रिवेदी ने कहा कि भाषा की बहुलता को हमें सम्मान देना चाहिए. ‘बहुभाषिक’ की उनकी व्याख्या ने सबको सोचने पर मजबूर कर दिया. प्रसिद्‌ध तुलनाकार प्रो. अमिय देव ने बीज व्याख्यान प्रस्तुत किया. इस अवसर पर हैदराबाद विश्वविद्‌यालय के समकुलपति प्रो. ई. हरिबाबू मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे. 3 मानविकी संकाय के अध्यक्ष प्रो. अमिताभ दास गुप्ता कहा कि उद्‌घाटन सत्र में ही बहुभाषिकता के संदर्भ में कई प्रश्न और संदेह उठाए गए हैं, जिनका अगले सत्रों में समाधान किया जाना चाहिए. डॉ. एम.टी. अंसारी और डॉ. गीतांजलि चॅटर्जी ने इस संगोष्ठी का समन्वय किया.