हैदराबाद विश्वविद्‌यालय में ‘शिक्षा में संज्ञानात्मक विज्ञान’ नामक विषय पर आयोजित पाँच दिवसीय कार्यशाला में 8 मई, 2014 को अंग्रेजी एवं विदेशी भाषा विश्वविद्‌यालय की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. श्रुति सरकार ने ‘भाषा अधिग्रहण : भाषा विशेष का सार्वभौमिक रुझान’ नामक विषय पर एक व्याख्यान प्रस्तुत किया.

इस कार्यशाला में भाग ले रहे एससीईआरटी, मध्य प्रदेश के शिक्षक प्रशिक्षणार्थियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हमारी भाषा सीखने की प्रक्रिया अनजाने में ही शुरू हो जाती है. इस पर और अधिक प्रकाश डालते हुए उन्होंने नवजात शिशु का उदाहरण देते हुए कहा है कि – वह सार्वभौमिक श्रोता होता है और लगभग हर ध्वनि भेद के प्रति संवेदनशील होता है जबकि बालक जैसे-जैसे बड़ा होता जाता है उसकी ध्वनिग्रामिक भेदभाव करने की क्षमता में गिरावट आती जाती है. और उसके उच्चारण में देशीय भाषा का मिश्रण नज़र आने लगता है.

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डॉ. सरकार ने मैरीलैंड विश्वविद्‌यालय के अंतर्गत स्थित शिशु लैब में शिशु श्रवण उत्तेजना से संबंधित अपने रोचक प्रयोगों का सिंहावलोकन करते हुए बताया कि – एक वर्ष से पूर्व शिशु भाषा अधिग्रहण में रुचि लेता है. तदुपरांत एक से डेढ़ वर्ष बीच वह तोतली भाषा में एक-एक शब्द बोलने का प्रयास करता है और डेढ़ से दो वर्ष मध्य वह बहु शब्दों का प्रयोग करने लगता है. दो वर्षोंपरांत वह वाक्य निर्माण करने लगता है.

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डॉ. सरकार ने आगे युवा शिशुओं के उम्र भर के परीक्षणों का ब्योरा देते हुए बताया कि स्तनपान करने वाला शिशु भी बहुत सारी चीज़ों का परीक्षण करता है. जबकि वयस्क बच्चे और बड़े अपनी देखी वस्तुओं का पहचान, समानताएँ और उनका अंतर भी करते हैं.

राज्य शिक्षा केंद्र, मध्य प्रदेश सरकार के सौजन्य से आयोजित इस पाँच दिवसीय कार्यशाला द्‌वारा शिक्षक प्रशिक्षु संज्ञानात्मक और तंत्रिका विज्ञान की समस्याओं को समझेंगे और इस क्षेत्र में हो रही प्रगति से भी अवगत होंगे. इस कार्यशाला का आयोजन हैदराबाद विश्वविद्‌यालय तंत्रिका एवं संज्ञानात्मक विज्ञान केंद्र कर रहा है.

डॉ. श्रुति सरकार नौसिखुआ छात्रों के पाठन में आनेवाली संभावित कठिनाइयों से साइटों की पहचान करने के उद्‌देश्य से बच्चों में भाषा और साक्षरता विकास पर अपना शोधकार्य किया. इसके अतिरिक्त द्वितीय भाषा शिक्षण में आनेवाली कठिनाइयाँ तथा वाचन-पठन में आनेवाली समस्याएँ एवं क्रिया अर्थ विज्ञान और संज्ञानात्मक भाषाविज्ञान जैसे क्षेत्र भी आपके अनुसंधान का विषय हैं.