प्रो.पार्थ घोष, वरिष्ठ वौज्ञानिक एवं प्लेटिनम जुबली फैलो (राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, भारत) ने हैदराबाद विश्वविद्यालय का दौरा किया तथा तंत्रिका और संज्ञानात्मक विज्ञान केन्द्र में भावनाओं को गणित शास्त्र के अनुसार मापा या तोला जा सकता है ? नामक विषय पर एक व्याख्यान भी प्रस्तुत किया।
डॉ.घोष ने अपना व्याख्यान दो भागों में दिया था। पहला 2 सितंबर को दिया था, जिसमें उन्होंने भौतिकी के सूक्ष्म विषयों को समझने में गणितीय पृष्ठभूमि की आवश्यकता को समझाया। द्वितीय भाग 3 सितंबर को दिया, जिसमें उन्होंने वेक्टर हिल्बर्ट स्पेस, विद्युत चुम्बकीय सिद्धांत और प्रकाश ध्रुवीकरण आदि का परिचय दिया । इसी भाग में उन्होंने हिल्बर्ट स्पेस के आधार पर भावनाओं का एक नया गणितीय सिद्धांत पेश किया । पोंकारे क्षेत्र जो आम तौर पर विभिन्न प्रकार के ध्रु्रवीकृत प्रकाश को दृश्यमान करने के लिए प्रयोग किया जाता है, उसी प्रकार आनंद, आश्चर्य और चिंता आदि भावनाओं को जानने के लिए भी प्रयोग किया गया। यह गणितीय संरचना सिद्धांत क्वांटम घटना की तरह संदर्भानुसार भावनाओं को समझने में सहायक हो सकता है। यह सिद्धांत संगीत सुनने से मनुष्यों में आनेवाली भावनाओं को आँकने के लिए किए गए प्रारंभिक प्रयोगों में सफल रहा । इस सिद्धांत को आगे बढ़ाने के परीक्षण जादवपुर विश्वविद्यालय के भौतिकी एवं संगीत केन्द्र में किए जा रहे हैं।
प्रो. घोष एस.एन.बोस नेशनल सेंटर फॉर बेसिक साइंसेज, कोलकाता (1989-1999), ब्रिटिश काउंसिल, कोलकाता (1975-1989) और विश्वभारती, शांतिनिकेतन (1968-75) आदि संस्थाओं में कार्य कर चुके हैं।