हैदराबाद विश्वविद्यालय, चिकित्सा विज्ञान संकाय द्वारा आयोजित एक व्याख्यान में डॉ. रिचर्ड ए. कॅश ने कहा कि आज समाज में नित्य नवीन बीमारियाँ फैल रही हैं, जिनके नियंत्रण एवं निवारण के लिए मानव, सामाजिक और राजनीतिक विज्ञानों की भागीदारी तथा इनके बीच सामंजस्य की परमावश्यकता है.
डॉ. कॅश अमेरिकी वैश्विक स्वास्थ्य अनुसंधानकर्ता के साथ-साथ प्रिंस महिडोल मेडल के विजेता के रूप विख्यात हैं. बोस्टन के हार्वर्ड स्कूल ऑफ़ पब्लिक हेल्थ में अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य के नैतिक मुद्दों पर आयोजित कार्यक्रम के निदेशक हैं और वहाँ के वरिष्ठ संकाय सदस्य भी हैं. भारत लोक स्वास्थ्य फाउंडेशन में विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में भी कार्यरत हैं.
इस अवसर पर डॉ. कॅश द्वारा प्रस्तुत ‘Bats, Viruses, and People: Lessons from recent outbreaks of Ebola and Nipah’ नामक व्याख्यान में उन्होंने बढती-फैलती प्रबल महामारियों पर नियंत्रण के लिए स्थानीय समुदायों के सामाजिक सांस्कृतिक प्रथाओं को समझने और बहु अनुशासनिक दृष्टिकोणों को अपनाने की ज़रूरत पर बल दिया.
हाल ही में निपा और एबोला जैसी महामारियों के कारण हुई प्राण हानियों को ब्यौरा देते हुए उन्होंने बताया कि अब तक हुई मौतों में लगभग 40% तक प्राण हानियाँ इन दो महामारियों के कारण ही हुई हैं, जिसमें 8300 मौतों की पुष्टि की गई है. यह दुनिया भर में आज चिंता का विषय बन चुकी हैं. इसके फैलते कारणों के बारे में उन्होंने बताया कि – उन्नत स्वास्थ्य सुविधाओं की अनुपलब्धता के साथ लोगों में फैले अंधविश्वास ने इस वायरस के घातक प्रसार में मदद की है. आगे उन्होंने कुछ देशों का (बांग्लादेश) उदाहरण देते हुए बताया है कि – कुछ धर्मों में अपनाई जानेवाली पारंपरिक अंतिम क्रियाओं की पद्धतियाँ अपनाने से भी यह बीमारियाँ तेज़ी से बढ रहीं हैं. आगे उन्होंने भारत द्वारा इस विषय में बरती जा रही सावधानियों पर अपनी आस्था अभिव्यक्त की.
आगे डॉ. कॅश ने बताया है कि – अक्सर लोग यह महत्वपूर्ण बात भूल जाते हैं कि, किसी भी बीमारी का फैलना अथवा उसका नियंत्रण प्रभावित क्षेत्र में रहनेवाली आबादी के सामाजिक, आर्थिक संदर्भों के साथ-साथ बीमारी ग्रस्त व्यक्तियों के परिवारजनों की भूमिका पर निर्भर होता है. इन सब के साथ-साथ बीमारी ग्रस्त क्षेत्र में रहनेवाले लोगों के बीच जागरुकता लाने से भी इन महामारियों पर नियंत्रण रखा जा सकता है.
अंत में उन्होंने एबोला जैसी बीमारियाँ के संदर्भ में भारतीय परिदृश्य की बात करते हुए कहा कि यहाँ की परिवहन प्रणाली, बेहतर स्वास्थ्य सुविधा तथा अटूट सावधानी ने अब भी भारत को इस भयंकर बीमारी से बचाकर रखा है.
मानविकी संकाय के सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम का उद्घाटन हैदराबाद विश्वविद्यालय के सम-कुलपति प्रो. ई. हरिबाबू ने किया. तदुपरांत वक्ता का परिचय चिकित्सा विज्ञान संकाय की अध्यक्ष डॉ. गीता के वेमुगंटी ने दिया.