सोसायटी फॉर दि प्रमोशन ऑफ क्लासिकल म्यूजिक एंड कल्चर अमंग्स्ट यूथ (स्पिक मॅके) ने पाँचवाँ निशा से उषा तक रात्रि शास्त्रीय संगीत समारोह ‘यामिनी 2015’ का आयोजन दि. 14 अगस्त, 2015 को हैदराबाद विश्वविद्‌यालय के डी.एस.टी. सभागार में किया. इस समारोह को दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की पुण्य स्मृति को समर्पित किया गया. तेलंगाना एवं आंध्र प्रदेश के राज्यपाल श्री. ई.एस.एल. नरसिंहन ने कार्यक्रम का शुभारंभ किया.

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इस अवसर पर बोलते हुए माननीय राज्यपाल ने कहा, “स्वतंत्रता दिवस की पूर्वसंध्या पर आयोजित इस विलक्षण समारोह का हिस्सा बनने का सौभाग्य मुझे प्राप्त हुआ है. ऐसे समारोह हमारी कला और संस्कृति को जीवंत रखते हैं. आज के युवा हमारी विरासत, कला और संस्कृति से भली-भाँति परिचित नहीं हैं. इन युवकों को प्रेरित करने का बहुत सही समय स्पिक मॅके ने चुना है.

आगे उन्होंने कहा, “हम अपने जीवन की पृष्ठभूमि को नहीं जानते. हमारा सांस्कृतिक इतिहास बहुत ही समृद्‌ध था. चिकित्सा से लेकर संगीत, खगोल विज्ञान के साथ-साथ जोतिष्य सब कुछ इसमें मिलता है. बस, इसे पीढ़ी-दर-पीढ़ी आगे ले जाने में हम चूक गए. यह सराहनीय कार्य आज स्पिक मॅके कर रहा है. इससे हमें अपने अंतस में छिपी शक्ति को पहचानने की प्रेरणा मिलेगी. कलाम जैसे संगीतप्रेमी वीणावादक को यह समारोह समर्पित है, यह अत्यंत प्रसन्नता का विषय है.”

हैदराबाद विश्वविद्‌यालय के कुलपति प्रो. आर.पी. शर्मा ने इस अवसर पर बोलते हुए कहा, “भारत का अभिन्न हिस्सा है – शास्त्रीय संगीत. आज के युवा दिलचस्पी के अभाव में इस आध्यात्मिक अनुभव को महसूस करने से वंचित रह गए है. शास्त्रीय संगीत मनोरंजन नहीं बल्कि साधना और समर्पण है.

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रमा वैद्‌यनाथन

यामिनी कृष्णमूर्ति की शिष्या विदुषी रमा वैद्‌यनाथन ने भरतनाट्‌यम नृत्यांगना के रूप में विश्वभर में ख्याति अर्जित की है. ग्रामीण भारतीय स्कूलों से लेकर न्यू यॉर्क के वर्ल्ड म्यूजिक इंस्टीट्यूट तक आपने नृत्य की प्रस्तुतियाँ दी हैं. कई राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से आपको नवाजा गया है.

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सिक्किल गुरुचरण

कर्नाटक संगीत के प्रमुख हस्ताक्षर के रूप में युवा सिक्किल गुरुचरण ने आज अपनी पहचान बनाई है. सिक्किल कुंजुमणि के पौत्र और पद्‌मश्री पुरस्कार विजेता बांसुरीबादक सिक्किल सिस्टर्स के अग्रज गुरुचरण को संगीत विरासत में मिला है. श्री. ज्ञानस्कंदन से आपने शिक्षा प्राप्त की और संप्रति श्री. बी. कृष्णमूर्ति के मार्गदर्शन से लाभान्वित हो रहे हैं.

आपका साझा एल्बम ‘माइल्स फ्रॉम दि इंडिया’ को ‘बेस्ट कंटेपररी जॅज एल्बम’ के श्रेणी में प्रतिष्ठित ग्रॅमी एवार्ड का नामांकन मिला था. इंडिया टुडे ने 35 वर्ष से कम आयु के 35 गेम चेंजर्स में इनको भी गिना था.

Nityanand Haldipur

नित्यांनद हल्दीपुर

प्रतिभाशाली नित्यांनद हल्दीपुर भारत के प्रमुख बांसुरीवादकों में से एक हैं. पद्‌मभूषण विजेता श्रीमती. अन्नपूर्णा देवी के वरिष्ठ शिष्यों में से वे एक हैं और संगीत की एक समृद्‌ध विरासत का प्रतिनिधित्व करते हैं. आकाशवाणी और दूरदर्शन के वरिष्ठ कलाकार श्री. नित्यांनद ने संगीत के राष्ट्रीय कार्यक्रम और आकाशवाणी के रेडियो संगीत सम्मेलन में भाग लिया है. आपको भारतीय शास्त्रीय संगीत को अपने योगदान के लिए संगीत नाटक अकादमी का सर्वोच्च पुरस्कार प्राप्त हुआ है.

Vidushi A. Kanyakumari

विदुषी ए. कन्याकुमारी

विदुषी ए. कन्याकुमारी आंध्र प्रदेश के विजयनगरम की निवासी हैं और गत चार दशकों से चेन्नई में रहती हैं. संगीतकारों के परिवार में जन्मीं विदुषी ए. कन्याकुमारी के माता-पिता श्री. अवसराला रामरत्नम एवं श्रीमती जयलक्ष्मी ने उन्हें संगीत सीखने के लिए बहुत प्रोत्साहित किया. तीन महान गुरुओं का मार्गदर्शन आपको मिला – इवटूरी विजेश्वर राव, एम. चंद्रशेखरन और एम.एस. वसंतकुमारी.

आकाशवाणी की इस वरिष्ठ कलाकार को पद्‌मश्री सहित कई पुरस्कार मिले हैं. महिला वायोलिनिस्ट के रूप में उनका नाम लिम्का बुक ऑफ रेकॉर्ड्स, 2004 में दर्ज है.

Ustad F.Wasifuddin Dagar

उस्ताद एफ. वासिफुद्‌दीन

सम्माननीय डागर परिवार के ध्रुपद गायकों में उस्ताद एफ. वासिफुद्‌दीन बीसवीं पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते हैं. आपको वर्ष 2010 में राष्ट्रपति द्‌वारा पद्‌मश्री पुरस्कार प्रदान किया गया. युवकों में आपकी लोकप्रियता देखते ही बनती है. अपनी महान परंपरा को जिलाए रखने के लिए वे संगीत की अगली पीढ़ी के निर्माण कार्य में भी जुटे हैं.