हैदराबाद विश्वविद्यालय, वनस्पति विज्ञान विभाग यूरोपीय संघ (ईयू) द्वारा समर्थित एक अंतरराष्ट्रीय कॉन्सॉर्टियम में भाग ले रहा है. इस “Nano3Bio” नामक परियोजना के आठ शैक्षणिक भागीदारों में हैदराबाद विश्वविद्यालय के प्रो. अप्पा राव पोदिले का अनुसंधान समूह भी एक है. इस परियोजना को अंजाम देने के लिए इनके साथ छोटे-बड़े अन्य 14 उद्यम भी कार्य करेंगे.
वर्तमान ज़रूरतों को पूरा करने के लिए हम तेल जैसे इंधनों का प्रयोग विरलता से कर रहे हैं. परंतु एक न एक दिन ये लुप्त हो जाएँगे. भविष्य की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए पर्यावरण अनुकूल तथा नवीकरणीय अक्षय संसाधनों (कच्चे माल) का उत्पादन करना एक बहुत बड़ा काम है. इसलिए नवीकरणीय अक्षय संसाधनों का महत्व आज तेज़ी से बढ़ रहा है। इस कार्य को संपन्न करने के लिए हैदराबाद विश्वविद्यालय सहित बेल्जियम, डेनमार्क, फ्रांस, जर्मनी, नीदरलैंड, स्पेन और स्वीडन आदि देशों की राष्ट्रीय एवं अतर्राष्ट्रीय कंपनियों के शोधकर्ता जुटे हैं. इस परियोजना का मूल लक्ष्य है, जैव प्रौद्योगिकी की सहायता से चिकित्सा, कृषि, जल शोधन, सौंदर्य प्रसाधन, कागज और कपड़ा आदि क्षेत्रो में नवीकरणीय अक्षय संसाधनों के कच्चे माल का उत्पादन करना. इस “Nano3Bio” परियोजना के समर्थन में सन 2017 तक यूरोपीय यूनियन लगभग 9 मिलियन यूरो (लगभग रु. 75 करोड़ रुपए) की धनराशि नियोजित कर रहा है. इस कार्य में गति लाने के लिए परियोजना से जुड़े सभी भागीदारों ने हाल ही में म्यूनस्टर, जर्मनी में समागम आयोजित किया.
इस परियोजना के समन्वयक एवं यूनिवर्सिटी ऑफ़ म्यूनस्टर, जीवविज्ञान के प्रो. डॉ. ब्रूनो Moerschbacher ने इस संदर्भ में कहा कि, यह “Nano3Bio” परियोजना वैज्ञानिक सपनों को साकार करेगी. आने वाले चार वर्षों में इस परियोजना के माध्यम से महत्वपूर्ण प्रगति की उम्मीद है.