चेन्नई में स्थित दि जर्मन एकाडेमिक एक्सचेंज सर्विस, इंडिया ने ‘रीडिस्कवर इंडिया ‑ हायर एजुकेशन एंड बियॉंड’ नामक एक संगोष्ठी का आयोजन दि. 5 अप्रैल, 2014 को हैदराबाद विश्वविद्‌यालय में किया. जर्मनी में शिक्षा एवं अनुसंधान के अवसरों पर यह गोष्ठी केंद्रित थी.

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डॉ. स्टीफन  वेकबाख, काउंसल जनरल, काउंसुलेट ऑफ दि फेडरल रीपब्लिक ऑफ जर्मनी, चेन्नई ने विशेष संबोधन प्रस्तुत करते हुए कहा कि जर्मन विश्वविद्‌यालयों में अनुसंधान अध्ययन करने के लिए विद्‌यार्थियों को पर्याप्त साधन और स्वतंत्रता मिलेगी. भारत और जर्मनी के बीच मजबूत आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि पिछले पाँच वर्षों में छात्रों की संख्या में 20% से 25% तक इज़ाफा हुआ है और वर्तमान में लगभग 7500 भारतीय विद्‌यार्थी जर्मनी में पढ़ रहे हैं. जर्मन विश्वविद्‌यालयों में अंग्रेजी भाषा में 800 से भी अधिक पाठ्यक्रम चलाए जाते हैं. उन्होंने कहा कि जर्मनी जाने वाले विद्‌यार्थियों में चेन्नई से अधिक हैदराबाद के विद्‌यार्थी हैं. दोनों देशों के शिक्षक भी अपने काम के संदर्भ के विचारों का आदान‑प्रदान करते हैं. जर्मन विश्वविद्‌यालयों के शिक्षक अपने विद्‌यार्थियों की शंकाओं का समाधान करने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं.

डॉ. वेकबाख ने वर्ष 2014 में आनेवाले अनोखे संयोग की बात करते हुए कहा कि इस वर्ष प्रथम विश्व युद्‌ध की 100वीं वर्षगांठ है, दूसरे विश्व युद्‌ध की 75वीं वर्षगांठ है और इसी वर्ष बर्लिन की दीवार ढहकर 25 वर्ष हो जाएँगे. इन घटनाओं के मद्‌देनज़र अगस्त 2014 से जर्मनी में अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाएँगे. उन्होंने छात्रों से अपील की कि इसका लाभ उठाते हुए वे जर्मनी में अध्ययन करने के अपने स्वप्न को पूरा कर सकते हैं.

इसके बाद छात्रों को जर्मनी में अनुसंधान के अवसर, युवा अनुसंधाताओं के समक्ष चुनौतियाँ और विद्‌यार्थियों एवं अतिथि वैज्ञानिकों के लिए वीसा प्रक्रिया के बारे में समझाया गया.

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है.वि.वि. के समकुलपति प्रो. ई. हरिबाबू ने यह कार्यक्रम आयोजित करने के लिए दि जर्मन एकाडेमिक एक्सचेंज सर्विस को धन्यवाद किया और छात्रों से आग्रह किया कि वे इस अवसर का लाभ उठाएँ.