हैदराबाद विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग में इंडियन स्कूल ऑफ बिज़नेस (आईएसबी) के प्रो. तरुण जैन ने दि. 04 अप्रैल, 2014 को ‘Common Tongue: The Impact of Language on Educational Outcomes’ नामक एक शोध व्याख्यान प्रस्तुत किया.
प्रो. जैन ने बताया कि भारत में शिक्षा का स्तर उसकी राजभाषा संबंधी नीतियों तथा राज्यों के गठन पर अधिक आधारित है. इस संदर्भ में उन्होंने कई आँकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि औपनिवेशिक प्रांतों में कुछ ज़िलों की भाषा वहाँ की राजभाषा से मेल खाती है तो कुछ ज़िलों में नहीं. ऐतिहासिक तौर पर देखा जाए तो जिन ज़िलों में अल्पसंख्यकों की भाषा शिक्षा का माध्यम है वहाँ साक्षरता दर बहुत कम है. बेमेल भाषिक जिलों में साक्षरता दर 18.8% से भी कम है और स्नातक कॉलेज का दर 27.6% से भी कम. उन्होंने इसका मूल कारण पाठशाला स्तर पर शिक्षा के माध्यम का बेमेल होना ही बताया. अंत में उन्होंने कहा कि शैक्षिक उपलब्धियों के स्तर को ऊँचा करने के लिए हमें भारत के विभिन्न क्षेत्रों का भाषाई आधार पर पुनर्गठन करना चाहिए.
प्रो. तरुण जैन अर्थशास्त्र और सार्वजनिक नीति के क्षेत्र में कार्यरत हैं. अधिक जानकारी के लिए उनकी वेबसाइट देख सकते हैं. — http://www.isb.edu/faculty/tarunjain/