हैदराबाद विश्वविद्यालय, चिकित्सा विज्ञान संकाय के स्वास्थ्य मनोविज्ञान केंद्र ने राष्ट्रीय ग्रामीण विकास संस्थान एवं पंचायती राज (NIRDPR), हैदराबाद और स्वास्थ्य मनोवैज्ञानिक संघ (AHP) के सहयोग से 4-6 अगस्त, 2016 के दौरान मानविकी संकाय के सभागार में “हेल्थ साइकोलॉजी: कंट्रिब्यूशन्स टू हेल्थ एंड वेल-बीइंग” पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया.
इस राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए हैदराबाद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अप्पा राव ने आयोजकों को बधाई देते हुए कहा कि इस प्रकार की संगोष्ठियों के कारण चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े पेशेवर आधुनिक विज्ञान प्रौद्योगिकी के समकालीन अनुसंधान परिणामों का आदान-प्रदान कर मानव स्वास्थ्य में वृद्धि व तंदुरुस्ती ला सकते हैं और साथ में वे भविष्य दिशाओं के लिए मार्ग प्रशस्त भी कर सकते हैं.
इस अवसर पर महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. गिरीश्वर मिश्रा ने ‘फ्यूचर ऑफ ह्यूमन हेल्थ एंड वेल-बीइंग’ विषय पर बीज व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए कहा कि समझौता प्रतिरक्षा प्रणाली के कम होने से आज कल के युवा अधिकतर संक्रामक रोगों के शिकार होते जा रहे हैं. इस संदर्भ में उन्होंने मीडिया को सराहते हुए कहा कि हाल ही में मीडिया व्यायाम, उचित आहार और धूम्रपान छोड़ने जैसे सार्वजनिक निर्गमों में भाग लेने के साथ-साथ स्वास्थ्य से जुड़े विषयों पर ज़ोर दे रही है.
सेलुलर और आणविक जीव विज्ञान केंद्र के निदेशक डॉ. सी.एच. मोहन राव ने उद्घाटन भाषण देते हुए कहा, “बीमारी के इलाज से पहले हमें अपने स्वास्थ्य के रखरखाव, स्वास्थ्य शिक्षा और रोगों के रोकथामों पर अधिक ध्यान देना चाहिए, इसी में हमारी भलाई है.”
स्वास्थ्य मनोविज्ञान केंद्र की अध्यक्षा एवं AHP की ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी प्रो. मीना हरिहरन ने संगोष्ठी के मुख्य उद्देश्यों पर प्रकास डाला. मेडिकल साइंसेज संकाय की डीन प्रो. गीता के. वेमुगंटी ने समग्र स्वास्थ्य: स्वास्थ्य मनोविज्ञान का महत्व पर बात की, जबकि स्वास्थ्य मनोविज्ञान केंद्र की सहायक प्रोफेसर डॉ. जी. पद्मजा ने धन्यवाद ज्ञापित किया.