हैदराबाद विश्वविद्यालय के प्रायोगिक भाषा विज्ञान एवं अनुवाद अध्ययन केन्द्र के संकाय सदस्य प्रो. पंचानन मोहंती ने केन्द्रीय भारतीय भाषा संस्थान मौसूर के 45 वें संस्थापना दिवस पर भारतीय भाषाएँ तथा समकालीन समाज-समस्याएँ और संभावनाएँ नामक दो दिवसीय परिसंवाद का उद्घाटन किया । इस परिसंवाद में उन्होंने भारतीय भाषाओं के संसाधनों को सहारा है साथ में उन्होंने कहा कि — हमें अपनी भाषाओं का महत्व तथा उनकी उपयोगिता का एहसास भी होना चाहिए । आगे उन्होंने कहा कि हमें एक उचित योजना के द्वारा भारतीय भाषाओं के विकास को आगे बढ़ाना चाहिए ।
मोहंती ने कहा कि मनुष्यों में संस्कृति और भाषा दोनों एक साथ विकसित हुए हैं । करीब एक लाख वर्षों पूर्व ही मौखिक भाषा का सृजन हुआ है । महान महाकाव्य महाभारत लग-भग 5,000 वर्ष पुराना है । आगे उन्होंने बताया कि एक से अधिक भाषाएँ बोलने वालों का महत्व चार लोगों में और अधिक होता है ।
उन्होंने यह स्थापित करने का प्रयास किया कि इंडो आर्यन और द्रविड़ भाषाओं के बीच परस्पार संबंध था, इसी प्रकार संस्कृत भी द्रविड़ भाषाओं से प्रभावित हुई थी ।
प्रो. मोहंती ने अमेरिका, यूरोप और ऑस्टेलिया आदि देशों को हवाला देते हुए कहा कि किस प्रकार इन देशों की भाषाएँ लुप्त हो गर्इं हैं और हमारे यहाँ लुप्त प्राय स्थितियों की भाषाओं को किस प्रकार से पुनर्जीवित किया जा सकता है । अन्त में उन्होंने कहा कि हमें अपने इतिहास से सबक सीखकर, भविष्य का निर्माण करना चाहिए ।