हैदराबाद विश्वविद्‌यालय, रसायन विज्ञान संकाय के पूर्व संकाय-अध्यक्ष प्रो. एलुवाथिंगल देवस्सी जेम्मिस को भारत सरकार ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में वर्ष 2014  के लिए प्रतिष्ठित पद्‌मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया है. डॉ. जेम्मिस ने यूनिवर्सिटी कॉलेज, तिरुवनंतपुरम और सेंट थॉमस कॉलेज, त्रिशूर से बीएससी की उपाधि प्राप्त कर आईआईटी कानपुर से एमएससी की उपाधि प्राप्त की.

ED-jemmis

 तदुपरांत, प्रो. पॉल वोन रगे सक्लेयर और प्रो. जॉन पोपले (1998 नोबेल पुरस्कार विजेता) के निर्देशन में प्रिंसटन विश्वविद्‌यालय से (1978) पीएचडी की उपाधि से सम्मानित किए गए. वहाँ से  प्रो. रोआल्ड हॉफमन (1981 नोबेल पुरस्कार विजेता) के साथ कॉर्नेल विश्वविद्‌यालय में दो वर्षों के लिए पोस्ट डॉक्टरेट कार्य किया. उसके बाद आपने हैदराबाद विश्वविद्यालय रसायन विज्ञान संकाय में प्रोफेसर तथा संकाय अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया. आप आस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी, कैनबरा (1991) में विजिटिंग फैलो के रूप में तथा जॉर्जिया विश्वविद्यालय, एथेंस (2000) के कम्प्यूटेशनल क्वांटम रसायन विज्ञान केंद्र में विजिटिंग प्रोफेसर रह चुके हैं. आप जेएनसीएएसआर और आईसीटीएस-टीआईएफआर में मानद प्रोफेसर हैं. 2005 में आपने भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी), बेंगलुरू का निमंत्रण स्वीकार कर अकार्बनिक और भौतिक रसायन विज्ञान विभाग में कार्य किया. वर्ष 2008 से आप भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान की स्थापना की जिम्मेदारी स्वीकार कर पांच वर्षों की प्रतिनियुक्ति पर तिरूवनंतपुरम में कार्यरत हैं.

आवर्त सारणी के तत्वों की संरचना, संबंध और अभिक्रियाशीलता तथा सैद्धांतिक रसायन विज्ञान आदि आपके प्राथमिक अनुसंधान के क्षेत्र हैं. इसके अतिरिक्त कार्बन संरचनात्मक रसायन शास्त्र, हुकेल 4N+2 नियम, बेनजेनोइड एरोमेटिक्स और टेट्राहेड्रल कार्बन और हीरा आदि में Jemmis MNO नियमों से बोरॉन की संरचनात्मकता को दर्शाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. आप  अणुओं, अणु-समूहों के सैद्‌धांतिक तरीकों का उपयोग कर  ठोस संरचना और अभिक्रियाशीलता के अध्ययन में लगे हुए हैं. पोलिहेडरल बोरॉन्स पर Jemmis MNO नियम आज दुनिया भर के अग्रणी शैक्षिक संस्थानों में अकार्बनिक रसायन विज्ञान के पाठ्यक्रमों में पढ़ाए जा रहे हैं. आपके कई सिद्‌धांत आज प्रयोगात्मक साबित कर दिए गए हैं.

आपने 20 से अधिक छात्रों को पीएचडी करने में मार्गदर्शन प्रदान किया और कई पोस्ट डॉक्टोरल रिसर्च एसोसिएट्स के साथ मिलकर कार्य किया. आपके लगभग 200 से अधिक शोध-पत्र प्रकाशित हो चुके हैं.