लगातार तीसरे वर्ष में भी हैदराबाद विश्वविद्यालय को भारत और दक्षिण एशिया में शीर्ष दो रैंक तथा दक्षिण-पूर्व एशिया में 7वाँ और 9वाँ स्थान मिला है. श्रेणी क्रम में प्रोफेसर के. नारायण चंद्रन और प्रोफेसर प्रमोद के. नायर को स्थान मिला है तथा ये दोनों अंग्रेजी विभाग में कार्यरत हैं. यह विश्वविद्यालय और विशेष रूप से मानविकी संकाय के लिए एक असामान्य उपलब्धि है.

सेंटर फॉर पब्लिकेशन एथिक्स, सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय द्वारा वर्ष 2019 से तीन स्तरों अर्थात भारत, दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया में कला और मानविकी अनुसंधान में भारत के योगदान का अध्ययन किया जा रहा है. यह विशेष रूप से, 1989 से 2022 तक की अवधि के लिए कला और मानविकी प्रशस्ति पत्र सूचकांक से वेब ऑफ साइंस प्रकाशन डेटा के विश्लेषण के माध्यम से किया जाता है.

प्रोफेसर प्रमोद के. नायर                                        प्रोफेसर के. नारायण चंद्रन

प्रोफेसर के. नारायण चंद्रन अंग्रेजी विभाग में साहित्य और सांस्कृतिक सिद्धांत में प्रतिष्ठित संस्थान आसन प्रोफेसर हैं और उन्होंने भारत में अंग्रेजी पर 150 से अधिक लेख और अध्याय प्रकाशित किए हैं. वे अमेरिकी साहित्य, आधुनिक ब्रिटिश और अंग्रेजी में अन्य साहित्य, भारत में अंग्रेजी, अनुशासन का इतिहास और शिक्षाशास्त्र आदि क्षेत्रों में रुचि रखते हैं.

 

पूर्व-छात्र प्रोफेसर प्रमोद के. नायर के विशेषज्ञता के क्षेत्रों में भारत पर अंग्रेजी औपनिवेशिक लेखन, पॉस्थुमेनिज़म, ग्राफिक उपन्यास, प्रसिद्ध व्यक्ति संस्कृति और साहित्यिक-सांस्कृतिक सिद्धांत आदि शामिल हैं. उनकी उपरोक्त विषयों पर लिखित पुस्तकें विली-ब्लैकवेल, पेंगुइन, ब्लूम्सबरी, एंथम, लेक्सिंगटन, ओरिएंट ब्लैकस्वान, विवा, स्प्रिंगर, पालग्रेव-मैकमिलन, कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस, सेज, रूटलेज, पॉलिटी; आदि के द्वारा प्रकाशित की गई हैं. इसके अलावा आपने आधुनिक कथा साहित्य और परिवर्तित अंग्रेजी, ऑर्बिस साहित्य और कहानी पर दुनिया भर में उच्च रैंक वाली पत्रिकाओं में शोध पत्र प्रकाशित किए हैं. उन्होंने 2018 में भारत के माननीय राष्ट्रपति से कला, मानविकी और सामाजिक विज्ञान में सर्वश्रेष्ठ अनुसंधान के लिए विज़िटर अवार्ड प्राप्त किया और स्टैनफोर्ड अध्ययन (2021) के अनुसार वे साहित्यिक अध्ययन में विश्व में 120 का दर्जा रखते हैं.