आंबेडकर अध्ययन केंद्र, समाज विज्ञान संकाय, हैदराबाद विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस के अवसर पर समाज विज्ञान विभाग, उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद के पूर्व डीन एवं प्रख्यात प्रोफेसर श्रीनिवासुलु जी ने समाज विज्ञान संकाय में 19 अप्रैल, 2017 को ‘Political society and caste dominance: Reflecting on the modes of engagement with Dalit subalternity’ विषय पर एक व्याख्यान दिया.
प्रो. श्रीनिवासुलु ने अपने इस व्याख्यान के दौरान भारत में आपातकाल के बाद के राजनीतिक दलों के क्षेत्रीयकरण और उच्च-निम्न जातियों के राजनीतिक संबंधों पर प्रकाश डाला.
आंध्र की राजनीतिक की पृष्ठभूमि के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि कृषि सुधारों के कारण किसान वर्ग की राजनीतिक गतिशीलता में बदलाव आया है. भारतीय राजनीति का पुनरुत्थान हुआ, जिसने दलित महासभाओं के गठन का नेतृत्व किया. हर राजनीतिक दल में जातिगत संघ बन गए. राजनीतिक दल निचली जाति समूहों को गिराने के लिए और एक दूसरे के खिलाफ भड़काने के लिए जाति को एक ट्रम्प कार्ड की तरह प्रयोग करने लगे थे. इस कारण जातियों के बीच अंतर बढ़ गया और जन आंदोलनों का दमन किया गया. प्रो. श्रीनिवासुलु ने जोर देकर कहा कि गैर-सरकारी संगठनों ने दलित संगठनों के मूल उद्देश्यों को नुकसान पहुँचाया है. “सरल शब्दों में कहा जाए तो आपातकालीन प्रभावशाली संरचनाओं के बाद भारत में सभी तरह के दलित आंदोलन कमजोर पड़ गए.”
प्रो. श्रीनिवासुलु ने ‘Caste, Class and Social Articulation in A.P: Mapping Differential Regional Trajectories’ नामक पुस्तक लिखी. सार्वजनिक नीति, विकास अध्ययन, राजनीतिक अर्थव्यवस्था, क्षेत्रीय अध्ययन, विशेष आर्थिक क्षेत्र की राजनीति (एसईजेड) और भारत में राज्य और व्यापारिक संबंध आदि क्षेत्रों में आपकी विशेष रुचि है. समाज विज्ञान संकाय के अध्यक्ष प्रोफेसर पी. वेंकट राव ने इस सत्र की अध्यक्षता की. व्याख्यान के बाद छात्रों और वक्ता के बीच एक इंटरैक्टिव सत्र चला.