भारतीय भाषा समिति,शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार  एवं हिंदी विभाग, हैदराबाद विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्त्वावधान में ” इन्टरनेट टूल्स के माध्यम से अनुवाद” (भारतीय भाषाओं के विशेष संदर्भ में) पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गई । मार्च 27-28 को आयोजित इस संगोष्ठी के मुख्य अतिथि प्रसिद्ध भाषावैज्ञानिक और विश्वविद्यालय के समकुलपति प्रो. आर.एस. सर्राजु इन्टरनेट के माध्यम से भारतीय भाषाओं में अनुवाद की संभावनाओं पर सारगर्भित व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए मशीनी अनुवाद के माध्यम से निरंतर परिवर्तित होती भाषा के लिए सटीक अनुवाद प्राप्त होने की चुनौतियों पर अपने विचार व्यक्त किए। उसके बाद तेलुगु-हिंदी मशीनी अनुवाद के विशेषज्ञ प्रो.जी. उमामहेश्वर राव ने मातृभाषा के उपयोग एवं प्रसार पर बल देते हुए शोधार्थियों को अपने शोध-कार्य की भाषा के रूप में अपनी मातृभाषा को चुनने का सुझाव दिया क्योंकि हमें अपने विचार व्यक्त करने के लिए किसी भी भाषा का चुनाव करने की आजादी मिलनी चाहिए। कार्यक्रम की अध्यक्षता मानविकी संकाय के अध्यक्ष प्रो. वी. कृष्ण की और संगोष्ठी संयोजिका और हिंदी विभाग की प्रभारी अध्यक्षा प्रो. सी. अन्नपूर्णा स्वागत वक्तव्य एवं का संगोष्ठी का परिचय दिया । इस सत्र का संचालन संगोष्ठी के संयोजक डॉ. जे. आत्माराम ने किया ।

इस संगोष्ठी में पाँच गंभीर एवं तकनीकी सत्र रखे गए । संगोष्ठी का प्रथम सत्र तेलुगु – हिंदी  और  तमिल – हिंदी, मलयालम -हिंदी मशीनी अनुवाद पर केन्द्रित था जिसकी अध्यक्षता संस्कृत अध्ययन विभाग, है.वि.वि., हैदराबाद के अध्यक्ष प्रो. जे.एस.के. प्रसाद ने की थी। इस सत्र में प्रो. शोभा, अन्ना यूनिवर्सिटी, तमिलनाडु ने ‘हिंदी और द्रविड़ियन भाषाओँ के मशीनी अनुवाद में आने वाली चुनौतियाँ’ विषय पर प्रस्तुति देते हुए तमिल, मलयालम एवं तेलुगु भाषाओँ के उदाहरण देते हुए शब्द, वाक्य एवं क्रिया आदि के स्तर पर मिलने वाले अंतर को प्रदर्शित किया । डॉ. परमेश्वरी आई.आई.आई. ने ‘भारतीय भषाओं के लिए निर्मित अनुवाद प्रणाली : विभिन्न दृष्टिकोण’ विषय पर प्रस्तुति देते हुए मशीनी अनुवाद के तीन विविध स्तरों को सविस्तार व्याख्यायित किया। इस सत्र का संचालन शोधार्थी पवना शर्मा ने किया ।

संगोष्ठी का द्वितीय सत्र ‘तमिल-हिंदी, मलयालम-हिंदी मशीनी अनुवाद और गूगल अनुवाद टूल्स’ पर आधारित था । इस सत्र की अध्यक्षता हैदराबाद विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग की प्रो. अंबा कुलकर्णी द्वारा की गई एवं सत्र-संचालन हिंदी विभाग की शोधार्थी नेहा यादव द्वारा किया गया । इस सत्र में वक्ता के रूप में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के ई.ई.टी. से  डॉ. सुखदा, हैदराबाद के ई.सी.आई.एल. से डॉ. कनक महालक्ष्मी एवं तमिलनाडु के सेंट जोसेफ कॉलेज से डॉ. बिमल जेरार्ड तिरुचिरापल्ली ने पॉवर पॉइंट प्रस्तुतिकरण के माध्यम से अपने वक्तव्य दिए । इस सत्र की पहली वक्ता डॉ. सुखदा ने अपनी प्रस्तुति देते हुए कहा कि विद्यालाओं में मूल रूप से दो भाषाओँ एवं कंप्यूटर का ज्ञान प्रदान किया जाता है, इस ज्ञान को विद्यालयी स्तर से ही समायोजित कर ‘डिक्शनरी मपिंग टेबल’ बनाने का सुझाव दिया । दूसरी वक्ता के रूप में डॉ. कनक महालक्ष्मी ने ‘अनुवाद प्रौद्योगिकी में कृत्रिम बुद्धिमत्ता’ विषय पर प्रस्तुति देते हुए क्लाउड प्रबंधन से संबंधित आवश्यक बिन्दुओं को रेखांकित किया । इसके उपरांत अंतिम वक्ता के रूप में डॉ. विमल जेरार्ड द्वारा ‘अनुवाद के लिए उपलब्ध गूगल टूल्स’ विषय पर प्रस्तुति देते हुए गूगल द्वारा किए जाने वाले अनुवाद के समय उपलब्ध होने वाले विकल्पों एवं सुविधाओं का उदाहरण सहित प्रदर्शन किया।

अगले दिन संगोष्ठी का तृतीय सत्र ‘अंग्रेजी-हिंदी, हिंदी-तमिल -हिंदी मशीनी अनुवाद’ पर आधारित था । इस सत्र की अध्यक्षता हिंदी विभाग के प्रो. विष्णु सरवदे द्वारा ने की एवं सत्र-संचालन हिंदी विभाग के शोधार्थी सुरेन्द्र ने किया । इस सत्र में वक्ता के रूप में हैदराबाद विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रो. एम. आंजनेयुलु; विशाखापट्टनम, आंध्रप्रदेश से डॉ. कृष्णवेणी एवं तमिलनाडु के सेंट जोसेफ कॉलेज से डॉ. विमल जेराल्ड तिरुचिरापल्ली ने पॉवर पॉइंट प्रस्तुतिकरण के माध्यम से अपने वक्तव्य दिए । इस सत्र में प्रथम वक्ता के रूप में प्रो. एम. आंजनेयुलु ने ‘किबो वेब’ के माध्यम से किसी भी प्रकार एवं विषय के पाठ को स्कैन करके अनूदित करने की प्रक्रिया को प्रत्यक्ष करके दिखाया । इसके उपरांत डॉ. कृष्णावेणी द्वारा ‘इंटरनेट टूल्स के माध्यम से अनुवाद’ विषय पर प्रस्तुति प्रदान की गई एवं भारत सरकार द्वारा अनुवाद के क्षेत्र में उपलब्ध कराई जाने वाली विविध वेबसाइट के विषय में सविस्तार बताया । ‘कंठस्थ’, भारतीय भाषा मशीन अनुवाद’, ‘मंत्र’, ‘ई-ऑफिस’ एवं ‘क्विलपैड’ जैसी वेबसाइट के विषय में पर्याप्त जानकारी प्रदान की । अंतिम वक्ता के रूप में डॉ. विमल जेराल्ड ने ‘अनुवाद के लिए इंटरनेट टूल्स एवं पोर्टल्स’ विषय पर प्रस्तुति देते हुए ‘डिजिटल इंडिया प्रोजेक्ट’ के माध्यम से अनुवाद के क्षेत्र में उठाए गए कदम के बारे में बताया । साथ ही विश्व स्तर हो या राष्ट्रीय स्तर हो सभी स्तरों पर अनुवाद के लिए मिलने वाले विकल्पों की बात कही । ‘माइक्रोसॉफ्ट बिंग’, ‘रेवेर्सो’, ‘शब्दकोश’, ‘इंडिया ट्रांसलेट’, ‘टाइपिंग बाबा’, ‘वेंगयम नेट’, ‘देवनागरी’, ‘translator.EU’, ‘TDIL’ एवं ‘संधान’ जैसी सरकारी वेबसाइट के विषय में बताया।

संगोष्ठी का चतुर्थ सत्र ‘उर्दू अंग्रेजी-हिंदी हिंदी-तेलुगु मशीनी अनुवाद’ पर आधारित था । इस सत्र की अध्यक्षता हिंदी विभाग के प्रो. एस. श्याम राव ने की एवं सत्र-संचालन विभाग की शोधार्थी पवना शर्मा द्वारा किया । इस सत्र में वक्ता के रूप में मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी, हैदराबाद के प्रो. खालिद मुबासिर, आई.आई.आई.टी. हैदराबाद के डॉ. रशीद अहमद; गुजरात से आई सुश्री लतिका चावड़ा एवं ई.सी.आई.एल., हैदराबाद के डॉ. अम्बेडकर ने पॉवर पॉइंट प्रस्तुतिकरण के माध्यम से अपने वक्तव्य दिए । प्रो. खालिद मुबासिर ने ‘उर्दू हिंदी मशीनी अनुवाद’ विषय पर अपनी प्रस्तुति देते हुए टैगिंग, चंकिंग एवं स्यन्सेट जैसे अनुवाद संबन्धित पहलुओं पर ध्यान आकर्षित किया । इसके उपरांत डॉ. रशीद अहमद द्वारा ‘इंटरनेट एज में मशीनी अनुवाद की संभावनाएँ एवं चुनौतियाँ’ विषय पर प्रस्तुति देते हुए जिन भारतीय वेबसाइट पर अच्छे अनुवाद प्राप्त किए जा सकते है उनके विषय में सविस्तार बताया । ‘अनुसारक’, ‘संपर्क’, ‘अंग्लाभारती’, ‘अनुभारती’, ‘भाषिणी’ इत्यादि भारतीय वेबसाइट के विषय में जानकारी प्रदान की । तीसरी वक्ता के रूप में सुश्री लतिका ने ‘भारतीय भाषाओँ में मशीनी अनुवाद की संभावनाएँ’ विषय पर प्रस्तुति देते हुए महंगे सॉफ्टवेयर टूल्स की बात कहीं एवं साथ ही भाषा के स्तर पर अनुवाद में आने वाली कठिनाइयों को उजागर किया । इस सत्र के अंतिम वक्ता के रूप में डॉ. अम्बेडकर ने ‘तेलुगु-हिंदी मशीन अनुवाद प्रौद्योगिकी क्षेत्र प्रणाली में व्याकरणिक त्रुटियों का विश्लेषण’ विषय पर प्रस्तुति देते हुए अनुवाद-कार्य में व्याकरण के स्तर पर मिलने वाली त्रुटियों पर प्रकाश डाला ।

संगोष्ठी का पंचम सत्र ‘इंटरनेट और हिंदी, अंग्रेजी हिंदी मशीनी अनुवाद’ पर आधारित था । इस सत्र की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रो. सच्चिदानंद चतुर्वेदी द्वारा ने की एवं सत्र-संचालन हिंदी विभाग की शोधार्थी संध्या चौरसिया ने किया। इस सत्र में वक्ता के रूप में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी के हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो. निरंजन सहाय; ई.सी.आई.एल. हैदराबाद के वरिष्ठ अधिकारी डॉ. राजनारायण अवस्थी एवं बैंक ऑफ बड़ौदा, हैदराबाद अंचल से श्रीमती गौरी ने पॉवर पॉइंट प्रस्तुतिकरण के माध्यम से अपने वक्तव्य दिए । प्रो. निरंजन सहाय ने ‘इंटरनेट टूल्स के माध्यम से अनुवाद’ विषय पर प्रस्तुति देते हुए साहित्य, शिक्षा और ई-लर्निंग क्रम से आगे बढ़ती है । डॉ. राजनारायण अवस्थी ने ‘कौशल विकास का अनुप्रयुक्त अध्ययन- तकनीकी लेखन इंटरनेट अनुवाद सापेक्ष मानव अनुवाद’ विषय पर प्रस्तुति देते हुए बताया कि कोई शब्द किस भाषा का है इसकी पहचान उसकी लिपि से होती है एवं यह भी समझाया कि किसी शब्द विशेष का अनुवाद करते समय उसके लिप्यान्तरण रूप का प्रयोग किया जाए या अर्थ के आधार पर निकटतम अर्थ का चुनाव किया जाए इसपर ध्यान देना अत्यंत आवश्यक है । साथ ही अनुसन्धान एवं विकास में गणितीय तथ्यों का अनुवाद उदाहरण के साथ समझाया । इस सत्र की अंतिम वक्ता के रूप में श्रीमती गौरी ने बैंकों में अनुवाद के लिए प्रयोग में लाई जाने वाली वेबसाइट ‘कंठस्थ २.०’ के विषय में आवश्यक जानकारी प्रदान की ।

संगोष्ठी के समापन सत्र की अध्यक्षता : प्रो. वी. कृष्ण, संकाय अध्यक्ष, मानविकी संकाय, हैदराबाद विश्वविद्यालय, हैदराबाद । सम्मानीय अतिथि के रूप में प्रो. आर.एस. सर्राजु, समकुलपति, है.वि.वि, हैदराबाद; मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. श्रीनारायण समीर, पूर्व-निदेशक, केन्द्रीय अनुवाद ब्यूरो, बेंगलूरू तथा विशेष अतिथि के रूप में हिंदी विभाग, उस्मानिया वि.वि. हैदराबाद की पूर्व अध्यक्ष प्रो. पी. माणिक्यांबा ‘मणि’, ने भाग लिया। सत्र के आरंभ में प्रो. सी. अन्नपूर्णा ने संगोष्ठी रिपोर्ट प्रस्तुत की और डॉ. जे. आत्माराम, सहायक प्रोफेसर हिंदी विभाग ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया । इस सत्र का संचालन शोधार्थी श्री करमचन्द ने किया ।