हैदराबाद विश्वविद्यालय ने यह निर्णय किया है कि 16 सितंबर, 2020 से अंतिम सत्र के स्नातकोत्तर छात्रों के लिए सत्रांत परीक्षाओं का आयोजन किया जाएगा.

इस संबंध में एक उच्च-स्तरीय बैठक का आयोजन किया गया था, जिसमें दोनों प्रति-कुलपति शामिल थे. संकाय-अध्यक्षों और विभागाध्यक्षों के साथ चर्चा के बाद कुलपति महोदय प्रो. अप्पा राव पोदिले ने कहा कि 28 अगस्त, 2020 को जारी उच्चतम न्यायालय के आदेश का अनुपालन करने के लिए विश्वविद्यालय बाध्य है. साथ ही, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के निदेशों का पालन भी अपेक्षित है, जिसके अनुसार अंतिम सत्र के छात्रों की सत्रांत परीक्षाएँ आयोजित करने के बाद ही परिणाम जारी किए जाने हैं. जो छात्र 16 सितंबर से आयोजित हो रही परीक्षाओं में भाग नहीं ले पाएँ, वे 5 अक्तूबर से आरंभ हो रहे परीक्षाओं के दूसरे दौर में परीक्षाएँ दे सकते हैं. इससे पहले जून माह में विश्वविद्यालय ने सतत मूल्यांकन (कंटिन्यूयस असेसमेंट) और सीजीपीए के आधार पर मूल्यांकन की वैकल्पिक पद्धति का अनुसरण कर इस बैच के परिणाम घोषित किए थे, ताकि छात्र अपनी उपाधि पूरी कर सकें और आगे की शिक्षा और रोज़गार की संभावनाओं पर ध्यान दे सकें. तथापि, अब उन परिणामों को रद्द किया जाता है.

विश्वविद्यालय समुदाय को लिखे एक खुले पत्र में प्रो. अप्पा राव ने बताया कि पहले लिया गया निर्णय छात्रों के हित को ध्यान में रखकर लिया गया था. उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद विश्वविद्यालय ने सत्रांत परीक्षाएँ आयोजित करने का निर्णय लिया है, जिससे भविष्य उनकी उपाधियों को नियामक प्राधिकारियों द्वारा निरस्त न किया जा सके. संकाय एवं विभाग के अध्यक्ष परीक्षाएँ ऑनलाइन आयोजित करने के लिए कई विकल्पों पर काम कर रहे हैं ताकि छात्रों को कम से कम असुविधा हो.