हैदराबाद विश्वविद्यालय के सामाजिक विज्ञान संकाय की मेंटरिंग समिति ने मानविकी संकाय के सभागार में करियर काउंसिलिंग पर पैनल चर्चा का आयोजन किया. इस कार्यक्रम में सामाजिक विज्ञान संकाय के संकायाध्यक्ष प्रो. आलोका पराशर सेन तथा क्षेत्रीय अध्ययन केंद्र के संकाय प्रो. शीला प्रसाद और नृविज्ञान विभाग के संकाय प्रो. आर. शिव प्रसाद आदि ने भाग लिया.
इस करियर काउंसिलिंग पैनल चर्चा में प्रो. बी. राजशेखर, डॉ. कार्तिक एस.जी., प्रो. एस.एम. इलियास और श्री. सी. शंकर आदि वक्ताओं ने सामाजिक विज्ञान के छात्रों को वर्तमान परिदृश्य के संदर्भ में अपना करियर बनाने के लिए आवश्यक सुझाव दिए.
इस अवसर पर मैनेजमेंट स्टडीज के संकाय प्रो. बी. राजशेखर ने छात्रों को मार्ग दर्शन देते हुए कहा कि भारत में अधिकतर स्नातकोत्तर छात्र नेट और जेआरएफ प्राप्त कर कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में शिक्षक वृत्ति की ओर ही अग्रसर होना चाहते हैं, हाँलाकि इसके अलावा और क्षेत्र हैं जहाँ इससे बेहतर नौकरियाँ मिल सकती हैं. अपने अनुभवों का ब्योरा देते हुए उन्होंने कहा कि – चिंता का विषय यह है कि हमारे अपने छात्रों में ही उचित कौशलों की कमी के कारण वे वहाँ तक नहीं पहुँच पा रहें हैं. इस आपूर्ति को पार करने के लिए तथा बाजार की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए हमारे छात्रों को कंप्यूटर, भाषा, अनुसंधान क्रियाविधियों में प्रवीणता के साथ-साथ आँकड़ों का विश्लेषण कर उनकी व्याख्या कर बाज़ार की ज़रूरतों को पूरा करने की क्षमता भी हासिल करनी चाहिए. इसके साथ में उन्होंने छात्रों को स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम के साथ-साथ पीजी डिप्लोमा कोर्सेस कर अपने कौशलों को बढाने के लिए भी सुझाव दिया.
PGDRDM कार्यक्रम के निदेशक एवं अध्यक्ष तथा कृषि राष्ट्रीय अनुसंधान प्रबंधन अकादमी के पूर्व निदेशक प्रो. एस.एम. इलियास ने इस अवसर पर छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि सामाजिक विज्ञान के छात्रों के लिए सरकारी क्षेत्रों के साथ-साथ गैर सरकारी संगठनों में भी रोज़गार के अनेक अवसर मिल रहें हैं पर इसके लिए हमें अपने पाठ्य विषयों में अच्छे अंक लाने के साथ-साथ अन्य कौशलों को भी हासिल करने की जरूरत है.
तीसरे वक्ता के रूप में ग्रे स्केल मीडिया सोल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड के संस्थापक निदेशक एवं ‘ब्रेन ट्री’, हैदराबाद के संकाय कार्तिक एस.जी. ने छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा कि 21 वीं सदी सामाजिक विज्ञान की सदी है. आज विश्व में सामाजिक विज्ञान अध्येताओं की कमी है. वास्तव में अधिकतर सामाजिक विज्ञान के छात्र अध्यापन ही रोज़गार का एक मात्र पेशा मानते हैं. लेकिन विश्व बाज़ार में अनेक ऐसे पेशें हैं, जो आपकी ओर बाहें फैलाकर आपकी प्रतीक्षा में खड़े हैं. उन्होंने कहा कि सिविल की परीक्षाओं में किए गए बदलाव के बाद नया पाठ्यक्रम 80% विशुद्ध रूप से सामाजिक विज्ञान पर ही आधारित है. इसलिए सिविल सेवा में कार्य करने के लिए उत्सुक छात्रों को लिए इससे अधिक सुनहरा अवसर और हो नहीं सकता.
कार्यक्रम के अंतिम वक्ता के रूप में एस-पैराडाइम कंसल्टेंट्स हैदराबाद के संस्थापक एवं निदेशक सी. शंकर ने सामाजिक विज्ञान के अध्ययन के महत्व को बताते हुए कहा कि मैं नित्य विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े लोगों के बीच सामाजिक विज्ञान की पृष्ठभूमि के कारण संलग्न हूँ. अंत में उन्होंने सफलता के लिए सुनने, बोलने, लिखने कौशलों के साथ-साथ लोगों को समझकर उनके साथ संलग्न रहने की क्षमता को ही महत्वपूर्ण कहा.
सभी पैनल सदस्यों का कहना था कि बदलते परिदृश्यों के साथ अपने आप को ढालकर नवीनतम परिवर्तनों पर नज़र रखकर सर्वाधुनिक एवं सक्षम बनना ही सफलता की कुंजी है.