हैदराबाद विश्वविद्‌यालय द्‌वारा कॅम्पस कॉन्सर्ट शृंखला के अंतर्गत 23 जनवरी, 2015 को डी.एस.टी. सभागार में आयोजित सुश्री कार्तिका अनघा के सुमधुर गायन ने सभी का मन जीत लिया.

‘नाद तरंगिणी’ नामक इस कार्यक्रम का शुभारंभ संत त्यागराज के ‘निन्ने भजना’ (नाटा राग) से हुआ. इसके बाद कार्तिका ने श्याम शास्त्री का ‘शंकरी शंकुरु चंद्रमुखी’ को आदि ताल में प्रस्तुत किया.

इसके उपरांत उन्होंने हमीर कल्याणी पर आधारित संत त्यागराज का ‘मुत्याला चविकेनू’ गाया. साथ ही, बिंदुमालिनी में संत त्यागराज का ‘एंता मुद्‌दो एंता सोगसो’, बिहाग में अन्नमाचार्य का ‘तेरवकू पति…’ और राग मल्लिका में संत ज्ञानेश्वर का अभंग ‘रूप पाहतां लोचनीं’ ने सभागार में उपस्थित श्रोताओं को मंत्र-मुग्ध कर दिया.

वायोलिन पर श्री. ओरुगंटी राजशेखर और मृदंगम पर टी.पी. बालसुब्रमण्यम ने कार्तिका अनघा की संगत की.
कार्तिका ने 16 वर्ष की आयु में अखिल भारतीय प्रतियोगिता में कर्नाटक शास्त्रीय संगीत में राष्ट्रपति का ‘बाल श्री’ पुरस्कार प्राप्त किया. कई जाने-माने गुरुओं से आपने संगीत की शिक्षा प्राप्त की और संप्रति वे संस्कृति विभाग द्‌वारा वरिष्ठ विदुषी के रूप में प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं.

उस्मानिया विश्वविद्‌यालय से पत्रकारिता में और श्री पद्‌मावती महिला कलाशाला, तिरुपति से संगीत में विशेष प्रवीणता के साथ मास्टर्स की डिग्री प्राप्त करने के बाद अनघा इंग्लैंड स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ मॅंचेस्टर से एथनोम्यूज़िकॉलॉजी में एम.फिल. कर रही हैं.