2015-16 केंद्रीय बजट पर पैनल चर्चा
हैदराबाद विश्वविद्यालय, अर्थशास्त्र संकाय के शोधार्थियों द्वारा शिक्षाविदों और प्रख्यात कंपनियों के प्रतिनिधियों के मध्य केंद्रीय बजट पर पैनल चर्चा की गई. इस पैनल चर्चा कार्यक्रम की अध्यक्षता हैदराबाद विश्वविद्यालय सामाजिक विज्ञान संकाय के पूर्व संकायाध्यक्ष एवं फिलहाल मानव विकास संस्थान, नई दिल्ली से जुड़े प्रख्यात अर्थशास्त्री प्रो. डी. नरसिंह ने की. इस पैनल चर्चा में हैदराबाद विश्वविद्यालय क्षेत्रीय अध्ययन केंद्र के प्रो. शीला प्रसाद, अर्थशास्त्र विभाग के प्रो. देबाशीष आचार्य, राजनीति विज्ञान विभाग के डॉ. बी.एल. बीजू और कॉर्पोरेट टैक्सेज, केपीएमजी के निदेशक श्री तपन गुप्ता आदि ने भाग लिया.
इस पैनल चर्चा में बात करते हुए प्रो. रेड्डी ने कहा कि बजट समाज के हर एक तबके के हर एक पहलू को प्रभावित करता है. यह जटिल राजनीति और सत्ता का प्रतिबिंब होता है. अबकी बार जनता की अपेक्षाएँ हैं कि सरकार राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करते हुए चालू खाता घाटा और प्रबंधनीय मुद्रास्फीति पर नियंत्रण पाए. आगे उन्होंने कहा कि आगामी समय में देखना यह है कि सरकार उनकी इन कामनाओं को कैसे पूरा करेगी.
इस चर्चा में विनिर्माण विकास की व्यापक आर्थिक पहलुओं, सार्वजनिक और निजी निवेश, घरेलू, सार्वजनिक और निजी बचत, बैंकों के एनपीए और तेल की कीमतें तथा राजकोषीय घाटे जैसे अनेक मुद्दों पर चर्चा की गई. इन बिंदुओं के अलावा प्रो. आचार्य ने व्यय सुधार, वित्तीय क्षेत्र विधान और आर्थिक नीति की रूपरेखा आदि विषयों पर भी प्रकाश डाला. इस अवसर पर श्री. गुप्ता ने बैलेंस शीट और नकदी की कमी पर जोर देते हुए बजट में टैक्स दृष्टिकोण, जीएसटी, हस्तांतरण मूल्य निर्धारण पतनशील कराधान आदि विषयों पर चर्चा करते हुए बुनियादी ढाँचे की स्थिति को भी स्पष्ट करने का प्रयास किया.
प्रो. शीला प्रसाद ने विशेष रूप से महिलाओं, बच्चों और समाज के कमज़ोर वर्गों के लिए, जनता के स्वास्थ्य के लिए कोष आवंटन की कमी पर जोर दिया। आगे डॉ. बीजू ने बजट को समाज में सत्ता की गतिशीलता का प्रतिबिंब बताया. उन्होंने सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं में धन की भारी गिरावट की ओर भी इशारा किया.
इस पैनल चर्चा कार्यक्रम के इंटरैक्टिव सत्र के दौरान शोधार्थियों ने काला धन, सामाजिक क्षेत्रों में आबंटन, कराधान प्रणाली और राजकोषीय घाटा आदि विषयों पर अनेक सवाल उठाए.