सारी दुनिया मुश्किल दौर से गुजर रही है. विशेष रूप से भारत भय की चपेट में है. हम हर दिन कोविड-19 की तेज़ी से फैलती दूसरी लहर के बारे में सुन रहे हैं. यह सूचना हमें कई स्रोतों से मिलती है, जैसे टेलीविजन, सोशल मीडिया, समाचार पत्र, परिवार, दोस्त और अन्य स्रोत इत्यादि. इस मुसीबत की घड़ी में कुछ भावनाओं का मन में उभरना सामान्य है, जैसे कि अनिश्चितता के कारण भय और कई चीजों के बारे में असुरक्षा आदि. कुछ लोग चिंतित, भयभीत और दुखी हैं.

अकसर युवा पीढ़ी उस स्थिति से डरती है जहाँ उसे समाज से अलग-थलग रहने की आवश्यकता हो. वर्तमान परिस्थितियाँ स्वतः अलगाव और सामाजिक अलगाव की माँग कर रही हैं. नई परिवर्तित स्थिति में व्यवहार के पैटर्न में भी कई बदलाव आए हैं, जिससे कुछ लोग भावनात्मक और व्यावहारिक रूप से असहज महसूस कर सकते हैं.

आने वाले कुछ दिनों में, डीन, छात्र कल्याण कार्यालय की सलाहकार इकाई छात्रों और विश्वविद्यालय समुदाय के अन्य लोगों के हित के लिए संदेशों की एक श्रृंखला पोस्ट करेगी, जो इस मुश्किल घड़ी में के दौरान मनोवैज्ञानिक, सामाजिक मुद्दों और सहायता के बारे में जागरूकता बढ़ाएगी.

पहला दिन – संदेश 1: संकट और अलगाव से जुड़ी भावनाओं से निपटना

  • खुद को व्यस्त रखें, नियमित कार्यक्रम बनाएँ.
  • नकारात्मक भावनाओं से खुद को दूर रखिए. आपको जिस काम से सुकून मिलता हो, उसे करें – संगीत सुनना, पढ़ना, लिखना या ऐसा कुछ जो समय के अभाव के कारण आप अभी तक नहीं कर पाए थे, आदि.
  • अपने पुराने शौक – जैसे पेंटिंग, संगीत आदि – को फिर शुरू करें, नए सिरे से उन्हें खोजने की कोशिश करें.
  • अच्छा भोजन करें और द्रव पदार्थों का खूब सेवन करें, शारीरिक रूप से सक्रिय रहें. सामान्य इनडोर व्यायाम से अपने आपको फिट रखें.
  • संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए आवश्यक शिष्टाचार का पालन करें. छींकते, खाँसते और बात करते समय अपना और दूसरों का खयाल रखें. मास्क का इस्तेमाल करना कभी न भूलें. सार्वजनिक स्थानों पर थूकना मना है.
  • चिंताओ को साझा करके दिखा दीजिए कि आपको फिक्र है. अपने साथी छात्रों के भरोसेमंद दोस्त बनें. ध्यान रखें कि आपके आस-पास किसी व्यक्ति को परामर्श या किसी आवश्यक वस्तु की जरूरत तो नहीं. सुरक्षित दूरी बनाए रखें और अन्य कोविड संबंधी नियमों का पालन कर अपनी तथा दूसरों की रक्षा करें.
  • होस्टल में कुछ छात्र या घर के कुछ परिजन/पड़ोसी/दोस्त यदि भ्रमित या बौखलाए से लगें, तो उनकी मदद करें. आप जो भी सहायता कर सकते हैं अवश्य करें, परंतु सुरक्षा सावधानियों को सदैव याद रखें.
  • स्वयं और दूसरों के प्रति जिम्मेदारी महसूस करें.
  • ज्ञान ही शक्ति है. आप जितने जागरूक होंगे, उतना ही कम भयभीत होंगे. केवल विश्वसनीय और प्रामाणिक स्रोतों से प्राप्त जानकारी पर भरोसा करें.
  • किसी सनसनीखेज समाचार या सोशल मीडिया पोस्ट पर विश्वास न करें, जो आपकी मानसिक स्थिति को प्रभावित कर सकते हैं. कोई भी असत्यापित समाचार या सूचना अग्रेषित/प्रचारित/साझा न करें.
  • आपदा से बचकर रहें. केवल इस चर्चा में न उलझें कि कौन बीमार है और स्थिति कितनी खराब है. कृपया इस बात की भी जानकारी रखें कौन स्वस्थ हुआ है तथा निवारण और सुरक्षा के लिए क्या उपाय किए जाने चाहिए.
  • पेशेवरों की सलाह का पालन करें – जैसे हाथों की स्वच्छता और दूसरों से शारीरिक दूरी बनाए रखना.
  • यदि आप कोरोना से संक्रमित होते हैं, तो याद रखें कि अधिकतर लोग ठीक हो जाते हैं. डरिए मत. तुरंत पेशेवर व्यक्ति की सलाह लें, स्वयं-अलगाव का पालन करें और निर्धारित दवाएँ लें.

मनोवैज्ञानिक, सामाजिक परामर्श के लिए, निम्नलिखित नंबरों पर विश्वविद्यालय के मनोवैज्ञानिक परामर्शदाताओं से संपर्क करें –

डॉ. हैमावती – 9515667087

श्री. सुभाष – 8008477643