हैदराबाद विश्वविद्यालय, संचार विभाग में पीएच.डी. कर रही शोध छात्रा तेजरानी रामपरसौद को दि राइट टू लाइवलीहुड कैंपस, विकास अनुसंधान केंद्र, बॉन विश्वविद्यालय, जर्मनी में 3-8 सितंबर, 2016 के दौरान जर्मन शैक्षणिक विनिमय सेवा (डीएएडी) द्वारा आयोजित ‘Mobilization for Change: Human Rights and the Empowerment of the Marginalized’, कार्यशाला में भाग लेने के लिए छात्रवृत्ति मंजूर की गई है.
इस कार्यशाला में दुनिया भर के ख्यात पेशेवर, वैज्ञानिक और पीएच.डी. कर रहे छात्र ‘वैकल्पिक नोबेल पुरस्कार’ के विजेताओं के साथ सम्मिलित होंगे. यह कार्यशाला मूलतः एशिया और अफ्रीका के उपेक्षित लोगों और मानव अधिकारों से सबंधित मुद्दों के अध्ययनों और अनुसंधान कार्यों पर केंद्रित की गई है. इस कार्यशाला में सशक्तीकरण और उपेक्षित मानव अधिकारों से सबंधित अवधारणाओं और दृष्टिकोण पर चर्चा की जाएगी. इसमें प्रतिभागियों के अनुभवजन्य अनुसंधानों एवं अध्ययनों से संबंधित प्रस्तुतियों पर चर्चा एवं विश्लेषण किया जाएगा.
राइट लाइवलीहुड कॉलेज (RLC) विश्वविद्यालयों द्वारा अध्ययन और अनुसंधान की पहल के लिए स्थापित एक वैश्विक केंद्र है. राइट लाइवलीहुड पुरस्कार ‘वैकल्पिक नोबेल पुरस्कार’ के रूप में भी जाना जाता है.
जर्मन शैक्षणिक विनिमय सेवा (DAAD) द्वारा समर्थित बॉन का आरएलसी कैम्पस विकास अनुसंधान केंद्र (ZEF), बॉन विश्वविद्यालय द्वारा मेजबानी कर रहा है. यह कार्यशाला सामाजिक न्याय और गरीबी उन्मूलन के क्षेत्र से जुड़े सभी अध्ययनों और अनुसंधान कार्यों को एकत्र करने का प्रयास करेगी.