दि. 12 अगस्त को हैदराबाद विश्वविद्यालय मे यू.पी.ई. फेज़-2 योजना के अंतर्गत ‘जोखिम भरी सामग्री – सुरक्षित पद्धतियाँ और निपटान’ विषय पर एक ओरिएंटेशन पाठ्यक्रम का आयोजन किया गया. विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर.पी. शर्मा ने पाठ्यक्रम का उद्घाटन किया और इस अवसर पर कहा कि रसायनों और अन्य जोखिम भरी सामग्री के साथ काम करते समय बहुत एहतियात बरतने की आवश्यकता है.
रसायन विज्ञान संकाय के डॉ. के. मुरलीधरन ने प्रथम वक्ता के रूप में प्रयोगशालाओं में काम करते हुए रासायनिक कचरे से निपटने के उपाय बताए.
कॉर्नेल यूनिवर्सिटी, यू.एस.ए. के माइक्रोबायोलॉजी और इम्म्यूनोलॉजी विभाग के प्रो. आवेरी ऑगस्ट ने ‘बायो सेफ्टी से परिचय’ विषय पर बायो सेफ्टी के चार चरणों पर व्याख्यान प्रस्तुत किया. बात को आगे बढ़ाते हुए जीव विज्ञान संकाय की शर्मिष्ठा बॅनर्जी ने जोखिम भरी जैविक सामग्री से निपटने की चर्चा की.
‘रेडिएशन – फॅक्ट ऑफ लाइफ’ नामक चर्चा में Jonaki, RC, BRIT, सी.सी.एम.बी. कॅम्पस, हैदराबाद के डॉ. आर. शेषाद्रि ने अपने विचार रखे. वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. शेषाद्रि ने कहा कि रेडिएशन से हमारा छुटकारा नहीं है. उन्होंने बताया कि कैसे हम दिन प्रतिदिन रेडिएशन के घेरे में आते हैं और इसके दुष्परिणामों से कैसे बचा जा सकता है. आपने यह भी बताया कि मान्य सीमा के भीतर होने पर रेडिएशन से कोई नुकसान नहीं होता.
जीव विज्ञान संकाय के प्रो. बी. सेंथिलकुमारन ने प्रयोगशालाओं में काम करते समय जिन सावधानियों को बरतना चाहिए, इस विषय पर चर्चा की. जैसे, पूरी बाँहों का लैबकोट और दोहरे दस्ताने आदि. इसी विषय पर भौतिकी संकाय के प्रो. एस.वी.एस. नागेश्वर राव ने अपनी बात रखी.
प्रो. आनंद कोंडापि ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया. अंत में, सेवानिवृत्त अग्निशमन अधिकारी श्री. के.वी.एन. शास्त्री ने आग बुझाने का प्रशिक्षण उपस्थितों के सामने प्रस्तुत किया.