हैदराबाद विश्वविद्यालय, उर्दू विभाग के वरिष्ठतम सेवारत संकाय सदस्य डॉ. हबीब निसार को उर्दू साहित्य के अध्ययन-अध्यापन और अनुसंधान एवं आलोचना में समग्र योगदान के लिए तेलंगाना उर्दू अकादमी ने ‘डॉ. मोहिउद्दीन क़ादरी ज़ोर लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार’ से सम्मानित किया. डॉ. हबीब निसार हैदराबाद विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र रह चुके हैं. उन्होंने अपनी स्नातकोत्तर और पीएच.डी. की डिग्रियाँ इसी विश्वविद्यालय से हासिल की हैं. उन्होंने उर्दू विभाग में ही पोस्ट डॉक्टोरल कार्य किया है. वे भारतीय शास्त्रीय संगीत के प्रेमी हैं.
डॉ. हबीब निसार की उर्दू के अध्ययन और अनुसंधान के विभिन्न क्षेत्र से संबंधित एक दर्जन से अधिक किताबें प्रकाशित हो चुकीं हैं. इन पुस्तकों के अलावा उन्होंने 450 साल पुरानी एक साहित्यिक कृति का संपादन भी किया जिसका नाम ‘खरगा नामा’ है. (संस्कृत में ‘खरगा’ का अर्थ खड्ग या तलवार है, तेलुगु में भी इसका प्रयोग इसी अर्थ में किया जाता है.) प्रसिद्ध आदिल शाही राजवंश के इब्राहिम आदिल शाह द्वितीय द्वारा लिखित किताब-ए-नौरस पर आपने विशेष कार्य किया है. आपने बीजापुर सल्तनत के दौरान लिखित कविता और साहित्य पर ‘बीजापुर का शेर-ओ-अदब’ नामक एक पुस्तक लिखी है. माना जाता है कि बीजापुर के उर्दू साहित्य पर लिखी गई यह पहली पुस्तक है. इसके अलावा डॉ. हबीब निसार ने दो और पुस्तकें भी लिखी हैं. निसारजी दक्षिण भारतीय साहित्य और अध्ययन के क्षेत्र में अपनी विशेषज्ञता के लिए जाने जाते हैं. आपके लेख और अन्य लेखन सामग्री अक्सर देश-विदेश के प्रतिष्ठित और अग्रणी पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती है.
अब तक आपके निर्देशन में लगभग 6 छात्र पीएच.डी. और 42 छात्र एम.फिल. की उपाधि से सम्मानित किए जा चुके हैं. आपने 17 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय और 105 से अधिक राष्ट्रीय स्तर के संगोष्ठियों और सम्मेलनों में भाग लिया है.
इससे पहले आप तत्कालीन ए.पी. उर्दू अकादमी द्वारा सर्वश्रेष्ठ शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किए जा चुके हैं.