हैदराबाद विश्वविद्यालय सरोजिनी नायडू संकाय, कला-संचार एवं ललित कला विभाग ने यूजीसी विशेष सहायता कार्यक्रम (एसएपी) के तहत गत शुक्रवार (19.08.2016) को दृश्य संस्कृति पर डॉ. श्रुति बाला की अध्यक्षता में ‘द गेस्चर्स ऑफ़ पार्टिसिपेटरी आर्ट’ पर एक चर्चा-गोष्ठी का आयोजन किया. यह कार्यक्रम विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के विशेष सहायता कार्यक्रम (एसएपी) द्वारा आयोजित दूसरा कार्यक्रम था. विश्वविद्यालय स्तर पर उन्नत शिक्षा के विशिष्ट क्षेत्रों में अनुसंधान एवं उत्कृष्टता को प्रोत्साहित करने के क्रम में तथा अंतरराष्ट्रीय मानकों की प्राप्ति में तेजी लाने के उद्देश्य से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने इस विशेष सहायता कार्यक्रम (एसएपी) का आरंभ किया.

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डॉ. श्रुति बाला एम्स्टर्डम विश्वविद्यालय के रंगमंच और प्रदर्शन अध्ययन की सहायक प्रोफेसर हैं, जहाँ उन्होंने पाँच साल के एम.ए. अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शन अनुसंधान कार्यक्रम का समन्वयन किया. आपने ब्रसेल्स युनिवार्सिटी (बेल्जियम); हल विश्वविद्यालय, स्कारबोरो (यूके); द कॉलेज ऑफ म्यूजिक एंड ड्रामा खार्तूम, (सूडान); केप टाउन विश्वविद्यालय, (दक्षिण अफ्रीका); हैदराबाद विश्वविद्यालय और दिल्ली विश्वविद्यालय (भारत) में अतिथि प्राध्यापक के रूप में कार्य किया. आपने मुंबई विश्वविद्यालय से जर्मन साहित्य का अध्ययन किया तदुपरांत द जोहान्स गुटेनबर्ग – यूनिवर्सिटैट, मिंज से रंगमंच अध्ययन में डॉक्टर की उपाधि पाई. आपके मूल अनुसंधान विषयों में पार्टिसिपेटरी कला, शिक्षणशास्र, प्रदर्शन कला, एक्टिविज़्म और नारीवाद आदि शामिल हैं.

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अपने व्याख्यान में डॉ. श्रुति बाला ने समकालीन थिएटर प्रदर्शन और दृश्य कलाओं में भागीदारी की अवधारणाओं के बारे में बात की. साथ में उन्होंने यह भी बताया कि हाल ही के थिएटर और प्रदर्शनों में प्रभावित भागीदारी कैसे की जा सकती है.

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बी कार्तिक द्वारा
संचार विभाग