प्रो. दयानंद सिद्दावतम, प्राणी जैविकी विभाग, हैदराबाद विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्रोफेसर को गीतम विश्वविद्यालय, विशाखापट्टनम के कुलपति के रूप में चुना गया है.

प्रो. दयानंद सिद्दावतम ने हाल ही में प्रतिष्ठित जे.सी. बोस फेलोशिप प्राप्त की है, जो प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों को उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए प्रदान की जाती है.

प्रो. दयानंद के अनुसंधान के क्षेत्रों में अणु सूक्ष्मजैविकी, पर्यावरण सूक्ष्मजैविकी और जीन अभिव्यक्ति नियमन इत्यादि शामिल हैं.

प्रो. दयानंद ने कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों और सम्मानों का कीर्तिमान स्थापित किया है, जैसे – सदस्य (फेलो), राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, इलाहाबाद, भारत (NASI); फेलो, भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, नई दिल्ली, भारत; फेलो, भारतीय विज्ञान अकादमी, बेंगलुरू, भारत; आंध्र-प्रदेश वैज्ञानिक पुरस्कार-2008 – राज्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद, आंध्र-प्रदेश सरकार, भारत; फेलो, आंध्र-प्रदेश विज्ञान अकादमी (एफएपीएएस), 2006; अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान विकास पुरस्कार – द वेलकम ट्रस्ट, यूके द्वारा; यूजीसी मिड-कैरियर अवार्ड-2019 आदि.

प्रो. दयानंद सिद्दावतम

प्रो. दयानंद को प्रदान की गई फैलोशिप

  1. यूजीसी नेशनल विजिटिंग एसोसिएट: (1985 से 1988 तक – वर्ष में तीन महीने) प्रो. पी.एस. शास्त्री, जैव रसायन विभाग, भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरू, भारत की प्रयोगशाला में काम करने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नई दिल्ली द्वारा प्रदान की गई.
  2. डीएएडी फेलो (1988-90): प्रोफेसर डॉ. डब्ल्यू. क्लिंगमुलर, बेयरुथ विश्वविद्यालय, डी-95440, बेयरुथ की प्रयोगशाला में एंटरोबैक्टर एग्लोमेरेन्स के प्लास्मिड एन्कोडेड एनआईएफ जीन पर काम करने के लिए जर्मन एकेडमिक एक्सचेंज सर्विस (डीएएडी), विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, जर्मनी संघीय गणराज्य द्वारा प्रदान की गई.
  3. अभ्यागत वैज्ञानिक (1992-93): प्रो. डॉ. डब्ल्यू. क्लिंगमुलर की प्रयोगशाला में काम करने के लिए इंस्टीट्यूट फॉर जेनेटिक्स (बी.एम.एफ.टी), बॉन, जर्मनी द्वारा प्रायोजित.
  4. डीएएडी फेलो (अल्पकालिक, मई से जुलाई 1995): प्रो. डॉ. डब्ल्यू. क्लिंगमुलर के साथ सहयोगी अनुसंधान गतिविधियों को जारी रखने के लिए जर्मन अकादमिक एक्सचेंज सर्विस (डीएएडी), जर्मनी द्वारा प्रदान.
  5. कॉमनवेल्थ एकेडमिक स्टाफ फेलो (1995-1996): डॉ. एम.जे. मेरिक, नाइट्रोजन फिक्सेशन लेबोरेटरी, जॉन इन्स सेंटर, नॉर्विच NR4 7UH, यू.के. के सहयोग से पोस्टडॉक्टोरल अनुसंधान करने के लिए ब्रिटिश काउंसिल, लंदन और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नई दिल्ली द्वारा संयुक्त रूप से प्रायोजित
  6. अभ्यागत वैज्ञानिक (2005-07 प्रत्येक वर्ष में -तीन महीने): प्रो. जे. वाइल्ड, जैव रसायन विभाग, टेक्सास ए एंड एम विश्वविद्यालय, टेक्सास, यूएसए (2007 से 2010, वर्ष में तीन महीने) के साथ सहयोगी अनुसंधान कार्य निष्पादित करने के लिए राष्ट्रीय विज्ञान फाउंडेशन, यूएसए और विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, नई दिल्ली द्वारा संयुक्त रूप से प्रायोजित.
  7. डीएएडी फेलो (सितंबर से नवंबर, 2010): सूक्ष्मजैविकी विभाग, हाले विश्वविद्यालय, जर्मनी में अभ्यागत वैज्ञानिक के रूप में काम करने के लिए जर्मन अकादमिक एक्सचेंज सर्विस (डीएएडी), जर्मनी द्वारा प्रदत्त.

अनुसंधान परियोजनाएँ और पेटेंट

प्रो. दयानंद को डीएसटी, डीबीटी, सीएसआईआर, सीएसआईआर (एनएमआईटीएलआई), डीआरडीओ, ब्रिटिश काउंसिल, यूके; वेलकम ट्रस्ट, यूके; नेशनल साइंस फाउंडेशन, यूएसए जैसी कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय वित्त पोषण संस्थाओं से अनुसंधान अनुदान प्राप्त हुआ है और प्रमुख अनुसंधान परियोजनाओं को आपने सफलतापूर्वक निष्पादित किया है.

उनके शोध निष्कर्ष कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं. उन्होंने नागार्जुन फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स, बायोलॉजिकल ई. प्राइवेट लिमिटेड और अरबिंदो फार्मा जैसे बायोटेक कंपनियों को उत्पाद विकास प्रक्रिया को विकसित/अनुकूलित करने के लिए सहयोग दिया है और उनके पास ‘GENETICALLY TRANSFORMED MICROORGANISM FOR BIOMASS FERMENTATION”(WO/2009/113101): PCT/IN2009/000105, शीर्षक से एक पेटेंट है.

प्रो. दयानंद ने अब तक 20 शोधार्थियों के शोध का सफलतापूर्वक निर्देशन किया है.