प्रो. रवि रंजन, हिंदी विभाग, मानविकी संकाय, हैदराबाद विश्वविद्यालय द्वारा लिखी गई ‘वारसा डायरी’ नामक पुस्तक अनन्य प्रकाशन, नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित की गई है.
नवंबर 2015 से सितंबर 2018 के दौरान भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद, विदेश मंत्रालय, भारत सरकार के माध्यम से दक्षिण एशियाई अध्ययन केंद्र, वारसा विश्वविद्यालय, वारसा, पोलैंड में अभ्यागत प्रोफेसर के रूप में भारतीय विदेश सेवा में प्रतिनियुक्ति पर प्रवास के दौरान साहित्यकार के दृष्टिकोण से लेकर लेखक का विस्तृत अवलोकन इस पुस्तक में शामिल है.
यह पुस्तक शिक्षा और संस्कृति के क्षेत्र में भारत और पोलैंड के बीच द्विपक्षीय संबंधों में महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान करती है. पुस्तक भारत-चीनी और भारत-पाक द्विपक्षीय संबंधों, हिंदी साहित्य, सांस्कृतिक कूटनीति और पोलिश लोगों के दैनिक जीवन के कुछ दिलचस्प बिंदुओं पर प्रकाश डालती है.
व्यापक और आधिकारिक रूप से यह पुस्तक दुनिया भर में भारत के अध्ययन तथा हिंदी साहित्य के अध्ययन और शिक्षण के बारे में महत्वपूर्ण विचारों का सिंहावलोकन है.
वारसा डायरी भारतीय साहित्य, साहित्यिक आलोचना, साहित्यिक सिद्धांत, तुलनात्मक साहित्य, सांस्कृतिक अध्ययन, इंडोलॉजी, कला और सौंदर्यशास्त्र, साहित्य के समाजशास्त्र और दक्षिण एशियाई अध्ययनों के विद्वानों और शोधकर्ताओं के लिए आवश्यक पुस्तक हो सकती है. इसमें हिंदी भाषी प्रवासी और प्राच्यवाद पर काम करने वालों को भी रुचि होगी.
लेखक के बारे में
प्रो. रवि रंजन, वर्तमान में हिंदी विभाग में प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं तथा विख्यात हिंदी साहित्यिक आलोचक भी हैं. उन्होंने लगभग सभी प्रमुख हिंदी पत्रिकाओं में सौ से अधिक शोध लेख, आलोचना और कई पुस्तकें प्रकाशित की हैं, जिनमें अनमोल आखर, लोकप्रिय कविता का समाजशास्त्र, भक्तिकाव्य का समाजशास्त्र और पद्मावत, साहित्य का समाज और सौंदर्यशास्त्र: व्यावहारिक परिधि, अलोचना का आत्मसंघर्ष (संपादक) इत्यादि शामिल हैं.