रास्ते की सभी रुकावटों को पार करते हुए शहर के 20 से भी अधिक नेत्रहीन छात्रों ने अप्रैल महीने में आयोजित बैंकिंग परीक्षाओं में सफलता प्राप्त की है. इन छात्रों का मानना है कि इंटरनेट ने उन्हें रोज़गार के अवसरों से रू-ब-रू कराया और प्रतिलेखकों से अच्छी साझेदारी ने उन्हें परीक्षा में सफलता दिलाई.
तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के लगभग 700 नेत्रहीन छात्रों ने इन परीक्षाओं के लिए आवेदन किया था, जिसमें से 20 का चयन लिपिक और परिवीक्षाधीन अधिकारी के रूप में हुआ है.
हैदराबाद विश्वविद्यालय के जी.पी. राजू, जिनका चयन केनरा बैंक में लिपिक के रूप में हुआ है, कहते हैं – इंटरनेट के इस युग में रोज़गार की असीम संभावनाएँ हैं. श्रुतिमूलक कंप्यूटरों की सहायता से हम खुद ही अंतरजाल को खंगाल सकते हैं.
बैंकिंग क्षेत्रों में रोज़गार के अवसर तलाशने के बाद इन छात्रों ने अन्य छात्रों को भी सूचित किया. राजू कहते हैं, “पूरी तैयारी होने के बावजूद हमें नगर में प्रतिलेखकों के कमी से जूझना पड़ा. परीक्षा लिखने के बाद भी मैं आश्वस्त नहीं था कि प्रतिलेखक ने मेरे बताए अनुसार परीक्षा लिखी है.”
एक अन्य सफल विद्यार्थी जी. तिरुपति रेड़्डी बताते हैं – हमने बैंक द्वारा आयोजित अभ्यास सत्रों में भाग लिया. उनका भी मानना है कि आजकल भर्ती की पूरी प्रकिया कंप्यूटरीकृत होने के कारण कंप्यूटर का ज्ञान होना बहुत आवश्यक है. उन्हें इस बात की खुशी तो है कि कई लोगों ने उनकी मदद की, पर गिला है कि कुछ लोग इससे कतरा गए.
वी. चिरंजीवी उन लोगों का शुक्रिया अदा करते हैं जिनकी सहायता के कारण वे इस परीक्षा में सफल हो सके. चिरंजीवी अपने जूनियर साथियों का मार्गदर्शन करने के लिए भी उत्सुक हैं.