हैदराबाद विश्वविद्यालय, सामाजिक बहिष्करण एवं समावेशी नीति अध्ययन केंद्र (CSSEIP) की ओर से 21 जुलाई, 2015 को हैदराबाद विश्वविद्यालय में आयोजित Dip! Dip! Dip! Immersing India in Superstition and Unreason (भारत विवेकशून्यता और अंधविश्वासों में डूब रहा है) नामक कार्यक्रम में विशेष व्याख्यान देते हुए बाबू गोगिनेनी ने कहा कि एक समझदार इंसान भी अपने प्रारंभिक ज्ञान को भूल कर मिथकों और झूठे विश्वासों में डूबकर विवेकशून्य हो रहा है.
हैदराबाद के बाबू गोगिनेनी लंदन और अन्य देशों में काम कर चुके भारतीय धर्मनिरपेक्ष मानवतावादी और हेतुवादी व्यक्ति के रूप में विख्यात हैं. इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि अक्सर हम लोग भारत के पिछड़ा राष्ट्र होने की बात करते हैं परंतु इसे पिछड़ा राष्ट्र बनाने में हमारा ही योगदान है. हम भारतीय अक्सर मिथकों और अंधविश्वासों पर जल्दी विश्वास कर लेते हैं. आगे उन्होंने कहा कि किसी भी चीज़ में विश्वास करना गलत नहीं है, पर बिना किसी सबूत के हमें किसी की बातों पर विश्वास नहीं करना चाहिए. हमें अपने देश को उन्नत बनाने के लिए सबसे पहले अपने दृष्टिकोण को और संकीर्ण विचारधाराओं को बदलकर विवेक से काम करना चाहिए.
अपने व्याख्यान को समाप्त करते हुए बाबू ने कहा कि भारत के नौजवानों में अद्भुत, असीम शक्ति है. अंधविश्वास रूपी अंधेरे के जाल को तोड़कर यदि हम एक-दूसरे से हाथ-से-हाथ मिलाकर काम करेंगे तो भारत को विश्व का शिखर बनाने में अधिक समय नहीं लगेगा.
बाबू गोगिनेनी नियमित रूप से दूरदर्शन पर विज्ञान, मानव अधिकार, धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र से संबंधित मुद्दों पर व्याख्याता के रूप में भाग लेते हैं. आपने 32 देशों में संचार कौशलों और विदेशी भाषाओं पर अध्यापन भी किया है. आप 2001 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा आयोजित मैड्रिड सम्मेलन ‘स्कूली शिक्षा में धर्म की स्वतंत्रता या विश्वास’ के लिए विषय विशेषज्ञ के रूप आमंत्रित हैं. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बाबू लोकप्रिय व्याख्याता के रूप में विख्यात हैं. आपने 1999 में मेक्सिको राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में प्रतिष्ठित व्याख्यान प्रस्तुत किया. आप कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में आयोजित कैम्ब्रिज यूनियन सोसायटी की वाद-विवाद प्रतियोगिता में जीतने वाली टीम के सदस्य थे.