हैदराबाद विश्वविद्‌यालय (UoH) में 8 अप्रैल 2014 को आयोजित एक सभा को संबोधित करते हुए प्रो. डी.एन. रेड्डी जेएनटीयू के पूर्व कुलपति एवं अध्यक्ष, आरएसी / डीआरडीओ, रक्षा मंत्रालय ने भूमंडलीकृत विश्व : उच्च शिक्षा में सफलता के लिए नवकल्पना का महत्व  नामक विषय पर एक व्याख्यान प्रस्तुत किया. इस सभा में विश्वविद्‌यालय परिसर के छात्र, शिक्षक तथा शोधार्थी मौजूद थे.

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अपने व्याख्यान के अंतर्गत उन्होंने कहा कि — शिक्षा अभिजात वर्ग के लिए एक प्रतिष्ठा का विषय है लेकिन आम जनता के लिए यह एक मूलभूत आवश्यता है. जिसके माध्यम से वे अपना रोज़गार पा सकते हैं. इसके लिए संस्थाओं को भी छात्रों में सकारात्मक गुणों को विकसित कर उनके ज्ञानभंड़ार तथा विभिन्न कौशलों को विकसित करने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए.

विश्वविद्‌यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से जुड़े  डॉ. रेड्डी ने बताया कि आज हम आर्थिक मंदी, गिरता विकास दर, सभी कॉर्पोरेट और निजी विश्वविद्‌यालयों के बीच तीव्र प्रतिस्पर्धा आदि मुद्दों का सामना कर रहें हैं जिसका फल उच्च शिक्षा पर पड़ रहा है. आगे उन्होंने विभिन्न आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि – हमारे देश के कर्मचारियों में लगभग 63% लोग अनपढ़ हैं, जनसंख्या में लगभग 40% से अधिक लोग 18 साल से कम उम्र के हैं; लगभग  18-24 आयु वर्ग के नवजवानों में केवल 15% युवा ही उच्च शिक्षा को पा रहें हैं और काफी चौंकाने वाली बात यह है कि केवल 23-25​​% युवा ही संबंधित क्षेत्रों में रोज़गार पा रहें हैं.

प्रो. डी.एन रेड्डी ने आगे बताया कि – हमारे देश की आर्थिक एवं सामाजिक आवश्यकताओं के अनुसार शैक्षिक संस्थाएँ पाठ्यक्रमों में मूलभूत परिवर्तन कर नवाचारों से युक्त गुणात्मक शिक्षा के माध्यम से युवाओं को अच्छा नागरिक बनाए और अपना रोज़गार स्वयं पाने के योग्य बनाए.  भारत में लगभग 600 से अधिक विश्वविद्‌यालय हैं पर यहाँ तक केवल 15% युवा ही पहुँच पा रहे हैं, जबकि विकसित देशों में यह दर 55% है और विश्व औसत 23% का है.

अंत में डॉ. रेड्डी ने कहा कि – उद्‌योग संस्थाएँ परामर्श सेवाओं में वृद्‌धि करें और अपने मुनाफे का 0.1 से 1%  भाग उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए दान करें.

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अपने इस व्याख्यान से पूर्व डॉ. डी.एन. रेड्डी ने विश्वविद्‌यालय परिसर में विश्वविद्‌यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के सौजन्य से बनाए गए रसायन विज्ञान नेटवर्किंग छात्रावास का उद्‌घाटन किया. यह छात्रावास 1,560 वर्ग फुट के क्षेत्रफल में बनाया गया है. इस दो ​​मंजिली भवन में कुल 30 कमरे हैं और प्रत्येक कमरे में एक संलग्न शौचालय है. इस इमारत का निर्माण नागार्जुन कंस्ट्रक्शन कंपनी द्‌वारा किया गया है. यह नेटवर्किंग छात्रावास समस्त भारत के नेटवर्क संसाधन केन्द्रों से जुड़े प्रतिभागियों की जरूरतों को पूरा करेगा.