विश्वविख्यात माइंडट्री कंपनी के सह संस्थापक एवं अध्यक्ष श्री सुब्रतो बागची ने 7 मार्च, 2014 को हैदराबाद विश्वविद्यालय (UoH) का दौरा किया और दर्शकों से खचाखच भरे सी.वी. रामन सभागार में ‘Trivializing India: Getting the Nation’s Bearings Right’ नामक विषय पर एक विशिष्ट व्याख्यान प्रस्तुत किया.
अपने व्याख्यान में उन्होंने भारतीयों की उदार भावनाओं से भरी जीवन शैली पर टिप्पणी करते हुए कहा कि – भारत में न जाने नित्य कितने ही घोटाले होते रहते हैं लेकिन इसकी चिंता किसी को नहीं होती. हम भारतीय अकसर नकारात्मक दृष्टिकोण से भरी मानसिकता में ही जीते हैं. इसके लिए उन्होंने विश्व के विभिन्न आँकड़ों का हवाला दिया जिसके अनुसार जीवन जीने के लिए जोखिम भरे देशों में भारत पाँचवे स्थान पर है और बच्चों के लिए जीने के लिए यह छठी सबसे खतरनाक जगह मानी जाती है.
अपने व्याख्यान में उन्होंने बताया कि – भारत में विश्व स्तरीय पेशेवरों को तैयार करने की विपुल क्षमता है. उन्होंने आगे कहा कि – जो अच्छे पेशेवर हैं वे अच्छे नागरिक भी होते हैं.
उन्होंने आगे कहा कि – राष्ट्रीय निर्माण के लिए चरित्र का निर्माण करना बहुत जरूरी है. इसके लिए उन्होंने जापान का हवाला देते हुए कहा कि – जपान के लोग अपने जीवन में प्रथम स्थान अपने देश को देते है. दूसरा अपनी संस्था को और अंत में अपने जीवन को. इसके विपरीत भारतीय अपने जीवन में प्रथम स्थान अपने जीवन को और परिवार को देते है तो दूसरा अपनी संस्था को और अंत में अपने देश को. आगे स्वीडन तथा उसकी राजधानी स्टॉकहोम का हवाला देते हुए कहा कि – एक समय में यह देश गरीब देशों में गिना जाता था, लेकिन अपने दृढ़ संकल्प और उत्कृष्ट कार्यान्वयन के कारण आज वह विश्व के सर्वश्रेष्ठ देशों की पंक्ति में आ खड़ा हुआ है. अंत में उन्होंने कहा है कि – हमें अपनी आज़ादी और देश पर गर्व करना चाहिए और इसके हित के लिए कर्णधार बनकर इसके विकास तथा उन्नति के लिए निरंतर परिश्रम करना चाहिए.
श्री. सुब्रतो बागची ने अपने जीवन की कार्य यात्रा पोस्ट ग्रेजुएट पढ़ाई के बाद 1976 में ओडिशा सरकार के उद्योग विभाग में क्लर्क के रूप में आरंभ की थी. एक साल बाद उन्होंने प्रबंधन प्रशिक्षु के रूप में 1977 से डीसीएम कंपनी में पाँच वर्षों तक कार्य किया. तदुपरांत 1981 से कंप्यूटर उद्योग में प्रवेश कर बिक्री, विपणन और संचालन जैसे विभिन्न विभागों में 1999 तक कार्य किया. इसके बाद विप्रो अध्यक्ष अजीम प्रेमजी के साथ मिलकर लंबे समय तक कॉर्पोरेट उपाध्यक्ष के रूप में विप्रो ग्लोबल अनुसंधान एवं विकास में मुख्य कार्यकारी के रूप कार्य किया. 1998 में विप्रो को छोड़कर लुसेंट टेक्नोलॉजीज में शामिल हो गए. एक वर्ष बाद उसे भी छोड़कर अपने कुछ मित्रों के साथ मिलकर 1999 में माइंडट्री कंपनी की स्थापना की.
श्री. बागची एक प्रसिद्ध लेखक हैं और उनकी व्यापार जगत से जुड़ी अनेक पुस्तकें विक्रय के संदर्भ में सर्वश्रेष्ठ मानी गईं हैं. इनकी अनेक पुस्तकों का हिंदी, मराठी, मलयालम, कन्नड़ जैसी भारतीय भाषाओं के अतिरिक्त अंग्रज़ी, कोरियाई और चीनी जैसी अनेक विदेशी भाषाओं में अनुवाद किया गया है. उनमें कुछ इस प्रकार हैं — दि हाई परफॉरमेंस इंटरप्रेन्योर, गो किस् दि वर्ल्ड, दि प्रोफेशनल एमबीए एट 16, दि प्रोफेशनल कम्पैनियन और दि एलीफैंट कॅचर्स.