हैदराबाद विश्वविद्यालय मानविकी संकाय के दलित और आदिवासी अध्ययन एवं अनुवाद केंद्र (CDAST) ने 17 जून 2014 को डॉ. जे. राजाराम द्वारा रचित (बंजारों की मौखिक कहानियों के विश्लेषण पर आधारित) विन्न कथलु नामक पुस्तक के विमोचन हेतु एक समारोह का आयोजन किया.
इस पुस्तक विमोचन समारोह के मुख्य अतिथि माननीय सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश श्री जे. चलमेश्वर जी ने इस संदर्भ में बताया कि – हमें हमारी विभिन्न आदिवासी और विरासत में मिली संस्कृतियों को कभी नहीं भूलना चाहिए. उन्हें संरक्षित कर आगे वाली पीढ़ियों तक पहुँचाना भी चाहिए.
इस समारोह के विशिष्ट अतिथि एवं माननीय सांसद प्रो. अजमेरा सीताराम जी ने इस संदर्भ में कहा कि – वे और सरकार दोनों आदिवासी समुदाय के उत्थान के लिए प्रतिबद्ध हैं.
इस समारोह के अध्यक्ष एवं हैदराबाद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रामकृष्ण रामस्वामी ने बंजारों के मौखिक कहानियों का विश्लेषण कर उसे मुद्रित प्रारूप में प्रस्तुत करने के लिए डॉ. राजाराम के प्रयासों की सराहना की.
इस अवसर पर वारंगल, फ़तेहपुर के गुगुलोत थांजा और गुगुलोत नामा भट्ट द्वारा प्रस्तुत बंजारा मुखर प्रदर्शन ने सभी दर्शकों को मोहित कर दिया.