हैदराबाद विश्वविद्यालय के प्रबंधन अध्ययन संकाय ने 11 अगस्त, 2015 को स्थापना दिवस मनाया. इस अवसर पर Team lease सर्विसेज के अध्यक्ष एवं सह संस्थापक श्री. मनीष सभरवाल को ‘Putting India to Work- Opportunities and Challenges in Employment and Education’ नामक विषय पर स्थापना दिवस व्याख्यान प्रस्तुत करने के लिए आमंत्रित किया गया.
अपना व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए मनीष जी ने कहा कि हमारे देश की सबसे बड़ी समस्या है, गरीबी. हालाँकि हम गरीबी की समस्या को बेहतर रोजगार के द्वारा मिटा सकते हैं. इसके साथ और समस्याएँ भी हैं, परंतु जब तक लोगों के चिंतन में और सार्वजनिक नीति में परिवर्तन नहीं आता तब तक इसका कुछ नहीं होगा.
श्री. सभरवाल मूलतः कश्मीर के निवासी हैं. उनके माता-पिता प्रशासनिक अधिकारी थे. सार्वजनिक नीति में बचपन से ही उनकी रुचि थी. इसीके फलस्वरूप आज वे भारत की सबसे बड़ी निजी क्षेत्र की नियोक्ता कंपनी के अध्यक्ष हैं. अजमेर का मेयो कॉलेज आपकी शैक्षिक पृष्ठभूमि की नींव है. तदुपरांत श्रीराम कॉलेज, नई दिल्ली से आपने उच्च शिक्षा पाई. आपने व्हार्टन से प्रबंधन में डिग्री हासिल की. यहीं आपकी उद्यमशीलता की यात्रा का आरंभ हुआ. जहाँ आपके दृष्टिकोण में परिवर्तन आया और जल्द ही आपको नई कंपनी के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा 2 अरब अमरीकी डॉलर का वित्त पोषण प्राप्त करने में कामयाबी मिली. तत्पश्चात आप भारत लौट आए और 2002 में मानव संसाधन परामर्श कंपनी Team Lease की स्थापना की और आज उसी कंपनी ने पाँच लाख से अधिक लोगों को नौकरियाँ देने में कामयाबी हासिल की है. आपके अनुसार आज यह कंपनी विकास की राह पर बड़ी तेजी से दौड़ रही है. इसके पास आज 2,500 करोड़ रुपये हैं और आने वाले कुछ वर्षों के भीतर इसमें 10,000 करोड़ रुपये की वृद्धि हो सकती है.
आगे उन्होंने बताया कि सार्वजनिक नीति की बेहतर समझ से आप रोजगार के अच्छे अवसर पैदा कर सकते हैं पर हमारी शिक्षा प्रणाली की कमियों के कारण हम ऐसा करने में असमर्थ हैं. उन्होंने अंग्रेजी भाषा पर पकड़ की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि मेट्रो शहरों के लोग अच्छी अंग्रेजी के कारण अच्छे-अच्छे पदों पर पहुँच जाते हैं पर इसकी तुलना में उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों से आकर काम करने वाले लोग उच्च वेतन पाने में असफल हो रहे हैं.
आप प्रतिष्ठित केन्द्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड, भारत सरकार के सदस्य हैं और विभिन्न राज्यों तथा केंद्र सरकार की समितियों के भी सदस्य हैं. आपने गुजरात में पीपीपी मॉडल पर स्थापित पहले व्यावसायिक विश्वविद्यालय के निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.