हैदराबाद विश्वविद्यालय प्रौद्योगिकी विभाग को विश्वविद्यालय में अनुसंधान एवं वौज्ञानिक उत्कृष्टता को प्रोत्साहन देने के लिए वर्ष 2014 से चार वर्षों तक पर्स योजना के तहत 32.8 करोड़ रूपयों की धन राशी भारत सरकार द्वारा प्रदान की गई है ।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा प्राप्त समाचार अनुसार हैदराबाद विश्वविद्यालय से किए जाने वाले प्रकाशनों में गणनीय वृद्धिध हुई है साथ ही साथ विश्वविद्यालय को दिए जाने वाले एच सूचकांक में भी बढ़ोत्तरी हुई है । पिछले दो वर्षों में विश्वविद्यालयों को विविध परियोजनाओं के अंतर्गत 50 करोड़ रूपयों की धनराशी प्राप्त हुई है । फिलहाल हैदराबाद विश्वविद्यालय ने 215 करोड़ रूपये मूल्य युक्त 252 परियोजनाएँ कार्यरत हैं । इन परियोजनाओं द्वारा विश्वविद्यालय पिछले तीन वर्षों में चार से अधिक पेटेंट दाखिल कर चुका है साथ में 21 पेटेंटों को अनुमोदनार्थ भेजा है, जिसमें 15 के लिए मंजूरी दे दी गई है। प्रत्येक वर्ष विश्वविद्यालय संकाय राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में 1200 से अधिक प्रकाशनों को प्रकाशित कर रहा है ।
PURSE योजना SCOPUS डाटाबेस अनुसार विज्ञान प्रशस्ति पत्रिकाओं में संकाय द्वारा प्रकाशित किए गए प्रकाशनों के आधार पर विश्वविद्यालय में किए जा रहे अनुसंधानों को अनुदान प्रदान करता है । 1996 से 2006 वर्षों की अवधि में एच सूचकांक के अनुसार हैदराबाद विश्वविद्यालय 54 सूचकांक से दूसरे स्थान पर था तब दिल्ली विश्वविद्यालय 56 सूचकांक से प्रथम स्थान पर था । NISTADS द्वारा किए गए अध्ययन अनुसार 2009 से 2010 के दौरान पर्स योजना के तहत चौदह विश्वविद्यालय को समर्थित किया गया । उनमें 2009 वर्ष के लिए प्रथम पुरस्कार के रूप में हैदराबाद विश्वविद्यालय को 30 करोड़ रूपये की धन राशी प्रदान की गई थी ।
राष्ट्रीय विज्ञान संस्थान, प्रौद्योगिकी और विकास अध्ययन द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण अनुसार भारत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विश्व के शीर्ष 20 देशों में 12वें पायदान पर तौनात है ।
SCOPUS द्वारा दिया जाने वाला एच ससूसचकांक वौज्ञानिक उद्पादकता, शोधकर्ता का वौज्ञानिक प्रभाव, शोधकर्ता का अनुसंधान तथा प्रकाशित शोध-पत्रों के महत्व पर एकत्र किए गए डाटाबेस अनुसार दिया जाता है । यह सूचकांक किसी भी संस्था था विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के अनुसंधान प्रभाव की स्थिति को समझने के लिए भी मानक माना जाता है ।