हैदराबाद विश्वविद्यालय के विख्यात आलोचक, लेखक व वरिष्ठ आचार्य सुवास कुमार के सेवानिवृत्ति पर उनके सम्मान में हैदराबाद विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग ने 13-14 अगस्त, 2013 को फणीश्वरनाथ रेणु आज का कथा-परिदृश्य नामक विषय पर दो-दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया ।

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हैदराबाद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.रामकृष्ण रामास्वामी ने इस संगोष्ठी का उद्घाटन किया ।  तदोपरान्त सेवानिवृत्ति पाए प्रो. सुवास चन्द्र कुमार को शॉल व स्मृति चिह्न से सम्मानित किया ।  उन्होंने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि तीसरी कसम की तरह प्रत्येक शिक्षक के जीवन में भी तीन प्रमुख चरण होते हैं ।  जो निम्न प्रकार हैं — पहली नियुक्ति, दूसरा शिक्षण और तीसरी सेवा निवृत्ति ।  तीसरा चरण प्रत्येक शिक्षक के जीवन में अति महत्वपूर्ण होता है, जिसमें वह अपने शिक्षण काल के जीवन की समीक्षा करता है ।  इस अवसर पर हिन्दी विभाग के छात्रों ने भी प्रो. सुवास चन्द्र कुमार जी का सम्मान किया ।

पहले सत्र का स्वागत भाषण प्रो.आर.एस. सर्राज़ू ने दिया ।  हिन्दी साहित्यकार व प्रमुख लेखक श्री संजीव ने मुख्य भाषण दिया ।  तदोपरान्त प्रो. वी.कृष्णा हिन्दी विभागाध्यक्ष  तथा प्रो. अमिताभदास ने इस अवसर पर अपने विचार अभिव्यक्त किए ।  इसके अन्त में प्रो. रवि रंजन ने धन्यवाद ज्ञापन किया ।