हैदराबाद विश्वविद्यालय, हिन्दी विभाग द्वारा मानविकी संकाय प्रेक्षागृह में गुंटूरु शेषेन्द्र शर्मा जी की धर्मपत्नी राजकुमारी इंदिरा देवी धनराजगीर के सौजन्य से आयोजित गुंटूरु शेषेन्द्र शर्मा स्मारक व्याख्यान-माला के अंतर्गत 20 जनवरी, 2014 को प्रो. कमलेश दत्त त्रिपाठी, सलाहकार, इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, वाराणसी ने “भारतीय काव्यशास्त्र एवं सौंदर्यशास्त्र में अभिनवगुप्त की समग्र और अभिनव दृष्टि” विषय पर विद्वत्तापूर्ण व्याख्यान दिया. अपने व्याख्यान में प्रो. त्रिपाठी ने भारतीय काव्यशास्त्र में अभिनवगुप्त की समाहारवादी दृष्टि तथा उनके अभिनव पक्ष को सरल शब्दों और उदाहरणों के द्वारा आधुनिक एवं वैश्विक चिंतन के परिप्रेक्ष्य में समझाने का प्रयास किया. अभिनवगुप्त ने भर्तृहरि और शंकराचार्य के सिद्धांतों और चिंतन को आत्मसात करते हुए उसकी नवीन व्याख्या की. अभिनवगुप्त ने ध्वनि सिद्धान्त के उन्नायक आचार्य आनंदवर्धन से ध्वनि को ग्रहण करते हुए उसकी व्यापकतर व्याख्या की थी. प्रो. त्रिपाठी ने भारत और विश्व के बीच संवाद के परिप्रेक्ष्य में अभिनवगुप्त के कला, संगीत, सौंदर्य और काव्य चिंतन की सार्थकता के बिंदुओं को रेखांकित किया.
प्रो. त्रिपाठी ने भर्तृहरि के वाक्पदीय से जोड़कर अभिनवगुप्त के सौंदर्य, नाट्य और भाषा संबंधी चिंतन और देन को नये सिरे से देखने की आवश्यकता महसूस की. उन्होंने कहा कि अभिनवगुप्त के यहाँ आगम और तंत्र दोनों मिल जाते हैं. अभिव्यक्ति और अनुभूति को उन्होंने परंपरा के परिप्रेक्ष्य में देखने की ज़रूरत महसूस की.
इस समारोह की अध्यक्षता हैदराबाद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रामकृष्ण रामस्वामी ने की. स्वागत वक्तव्य प्रो. अमिताभ दासगुप्ता, डीन, मानविकी संकाय ने दिया. प्रो. वी. कृष्ण, अध्यक्ष, हिंदी विभाग ने प्रो. कमलेश दत्त त्रिपाठी का परिचय दिया. धन्यवाद ज्ञापन विभाग के प्राध्यापक डॉ. जे. आत्माराम ने दिया. इस समारोह में बड़ी संख्या में हैदराबाद विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के प्राध्यापकों, शोधार्थियों और विद्यार्थियों के अलावा नगरद्वय के साहित्य प्रेमियों ने भी भाग लिया.