500 में से 16 प्रस्तावों को वित्त पोषण हेतु संस्तुत किया गया है
हैदराबाद विश्वविद्यालय के एस्पायर-बायोनेस्ट में आरंभ किए गए स्टार्टअप ओंकोसीक बायो प्रा.लि. को इन विट्रो लंग ऑर्गनॉइड मॉडेल को विकसित करने के लिए वित्तीय सहायता दी जाएगी. जैवप्रौद्योगिकी विभाग के अधीन बीआईआरएसी (जैवप्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद) ने कोविड-19 अनुसंधान के लिए प्राप्त 500 प्रस्तावों में से 16 को वित्तीय सहायता प्रदान करने की घोषणा की है. ओंकोसीक बायो प्रा.लि. इनमें से एक है. इस स्टार्टअप के संस्थापक सीईओ डॉ. सुरेश पूसाला ने बताया, “वर्तमान में कोविड-19 पर जो जंतु मॉडेल उपलब्ध है उन्हें या तो भारत में लाना कठिन है या फिर इस महामारी की स्थिति में समय पर उनका निर्माण संभव नहीं है. इस वित्तीय सहायता से कंपनी इन कठिनाइयों का समाधान ढूँढ़ने का प्रयास करेगी.”
हैदराबाद विश्वविद्यालय के एस्पायर-बायोनेस्ट में वर्ष 2019 से ही ओंकोसीक बायो प्रा.लि. कार्य कर रहा है. यह कुछ रोगों की चिकित्सीय जाँच के लिए इन विट्रो और इन विवो प्लेटफॉर्म विकसित करने का प्रयास कर रहा है. डॉ. पूसाला अमेरिका के कई संस्थानों में 25 वर्षों के अनुभव के बाद भारत लौटे हैं – जैसे, एनआईएच, वॉशिंगटन, ब्रिस्टल-मायर्स स्क्विब, सैन फ्रैंसिस्को, यूनिवर्सिटी ऑफ मेरीलैंड, बाल्टीमोर और सेंट जूड’स रीसर्च, मेंफिस आदि. डॉ. सुरेश पूसाला की टीम में डॉ. भरद्वाज वड्लूरि और सुश्री षण्मुख प्रिया भी शामिल हैं. उन्होंने कैंसर समेत कुछ रोगों के सेल कल्चर मॉडेल्स पर अनुसंधान किया है. बीआईआरएसी/डीबीटी से प्राप्त इस वित्तीय सहायता से वे अपनी टीम का विस्तार कर वर्तमान इन विट्रो प्लेटफॉर्म की परिधि को आधुनिक अनुसंधान के अगले स्तर तक ले जाना चाहते हैं. इस वित्तीय सहायता से वे आने वाले 6 माह में वाइरस या होस्ट कोशिका पर दवाई/पेप्टाइड/मोलिक्यूल्स/एजेंट्स/कंपाउंड्स के परिणाम का अध्ययन करेंगे. उन्हें विश्वास है कि हैदराबाद विश्वविद्यालय के जीव विज्ञान संकाय के शिक्षकों और एस्पायर-बायोनेस्ट की मदद से वे कोविड-19 की गुत्थी को सुलझाने में सफल होंगे.
एस्पायर एक गैर-लाभकारी संस्था है जो विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विविध विषयों के स्टार्टअप के माध्यम से नवाचार और उद्यमशीलता संबंधी गतिविधियों का प्रबंधन करती है.
बायोनेस्ट 20000 वर्गफीट का हैदराबाद विश्वविद्यालय का इंक्यूबेटर है, जिसकी स्थापना भारत सरकार, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय, डीबीटी के अधीन बीआईआरएसी की सहायता से की गई थी.
कृपया देखें – https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1616289