मैं एक मैकेनिकल इंजीनियर थी और मुझे आई.टी में काम करने का 7 वर्षों का अनुभव था पर मेरे मन-मस्तिष्क में मीडिया और संचार के क्षेत्र में कैरियर बनाने की प्रबल आकांक्षा थी. इसी आकांक्षा की पूर्ति के लिए मैंने वर्ष 2010-12 के लिए है.वि.वि. में एम.ए (संचार) पाठ्यक्रम में प्रवेश लिया था.
सच कहूँ, जब मैं यहाँ दाखिल हुई थी तब मुझे इस विश्वविद्यालय से कोई खास उम्मीद नहीं थी. मेरे लिए यह जगह केवल एक उच्च डिग्री हासिल करने का एक ज़रिया मात्र थी जो मुझे एक अच्छी नौकरी दिलवा सके.
लेकिन प्रत्येक दिन के गुजरने के साथ-साथ इस परिसर की हर बात ने मुझे कुछ नया सिखाया. सुरक्षा गार्ड की मुस्कान ने मुझे सहनशीलता से संतुष्ट रहना सिखाया. कैंटीन चाचा के सौहार्द भाव ने ग्राहक की सच्ची सेवा करना सिखाया. मेरे शिक्षकों के समर्पण भाव ने अपने कार्य की कदर करना सिखाया. प्रयोगशाला में कर्मचारियों की प्रतिबद्धता ने मुझे निष्ठा से कार्य करना सिखाया.
शिक्षकों और विभिन्न विभागों के साथी छात्र-छात्राओं के साथ की गई चर्चाओं ने न सिर्फ मेरे शैक्षिक क्षितिज को विस्तार दिया है बल्कि मेरे जीवन से जुड़े अनेक मुद्दों पर मेरे दृष्टिकोण को भी बदल दिया है. यहाँ की शिक्षा नीति ने न सिर्फ़ मेरे ज्ञान में श्रीवृद्धि की है, बल्कि मेरे अंदर समाहित हठधर्मिता और रूढ़िवादिता को जड़ से मिटाकर मुझे एक सही मनुष्य बनाने में सहायक हुई है.
फिल्मों के चर्चे, परिसर चुनावों की बहस, रात में चाय पीते कैंटीन में की गई चर्चा और न जाने क्या-क्या! सूची अंतहीन है. दरअसल हमारे मीडिया कॉम की शुरुआत वहीं हुई थी.
आज जब कभी मैं किसी काम से विश्वविद्यालय परिसर आती हूँ, तब अपने परिसर के गर्मजोशी और स्नेह से भरे दिनों की प्रतिछाया मेरे दिल में हिलोरें लेने लगती है.
यह बात तो तय है कि ‘है.वि.वि. की पूर्व छात्र’ नामक ब्रांड के साथ मेरा नाम जुड़ने से मेरा जीवन हमेशा के लिए बदल गया है.
– सी. गौतमी. एम.ए संचार की पूर्व छात्रा, 2010-12 बैच.