पोट्टी श्रीरामुलू तेलुगु विश्वविद्यालय ने हैदराबाद विश्वविद्यालय, तेलुगु विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. दार्ला वेंकटेश्वर राव को उनके द्वारा तेलुगु साहित्य में किए गए योगदान के लिए सर्वश्रेष्ठ साहित्य आलोचक पुरस्कार से नवाज़ा है.
प्रतिवर्ष यह पुरस्कार तेलुगु साहित्य में उत्कृष्ट योगदान करनेवाले व्यक्तियों को दिया जाता है. यह पुरस्कार डॉ. दार्ला वेंकटेश्वर राव को 28 नवम्बर 2013 को पोट्टी श्रीरामुलु तेलुगु विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित समारोह में दिया गया. इस कार्यक्रम में प्रो के.सी. रेड्डी, अध्यक्ष-राजीव शिक्षा और रोजगार मिशन, प्रो. ई. शिवा रेड्डी, कुलपति-पोट्टी श्रीरामुलु तेलुगु विश्वविद्यालय और प्रो. के. आशीर्वादम, कुलसचिव-पोट्टी श्रीरामुलु तेलुगु विश्वविद्यालय आदि प्रमुख उपस्थित थे.
डॉ. दार्ला वेंकटेश्वर राव की अब तक लगभग 11 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं. उनमें प्रमुख निम्नानुसार हैं-
स्वीय कविता संकलन- दलित तात्विकुडु (2004), साहिती सुलोचनम, वीचिका, पुनर्मूल्यांकनम, दलित साहित्यम्-मादिगा दृक्पथम् और बहुजना साहित्य दृक्पथम् इत्यादि. इनमें से अधिकतर पुस्तकों ने तेलुगु आलोचना साहित्य को प्रभावित कर एक नई दिशा प्रदान की. वे मादिगा नामक दलित जाति के कवियों द्वारा लिखे गए पहले काव्य संग्रह ‘मादिग चैतन्यम्’ के संपादकों में से एक हैं. आपने अपना एम.फिल. अनुसंधान पद्मश्री पुरस्कार विजेता डॉ. एस.टी. ज्ञानानंद कवि पर तथा पीएचडी तेलुगु साहित्य इतिहास को 13 खंडों में लिखनेवाले दिग्गज एवं प्रख्यात प्रगतिशील लेखक श्री. आरुद्रा पर की है.
वेंकटेश्वर राव जी ने स्नातकोत्तर शिक्षा से लेकर पीएचडी तक अपनी शिक्षा हैदराबाद विश्वविद्यालय में ही संपन्न की. तदुपरान्त सहायक प्रोफेसर के रूप में आप हैदराबाद विश्वविद्यालय में ही नियुक्त हुए. दलित मुद्दों पर आपके अनेक लेख विभिन्न साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित किए गए हैं. उन्होंने दलितों के विभिन्न मुद्दों पर अनेक राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सेमिनारों में भाग लिया और अनेक शोधपत्र भी प्रस्तुत किए. अब आप मादिगा साहित्य इतिहास प्रकाशित करने की योजना बना रहे हैं. आपकी अनेक कविताएँ दलित काव्य संग्राहों में प्रकाशित हो चुकीं हैं. आप भारतीय दलित साहित्य अकादमी, नई दिल्ली द्वारा वर्ष 2007 में डॉ. बी.आर. अम्बेडकर फैलोशिप अवार्ड से सम्मानित किए गए हैं. आप मादिगा जाति के उत्थान हेतु विशेष रूप से एक ब्लॉग (http://madigakavulu.blogspot.com) चला रहें हैं.