दुनिया भर के नए बाजार में अपनी उपस्थिति दर्ज करने की क्षमता रखने वाली यह मशीन डॉ. सुरजीत धारा द्वारा डिज़ाइन की गई है. यह भारत की पहली ऐसी मशीन है जो सरलता से चलाई जा सकती है, एक जगह से दूसरी जगह ले जाई जा सकती है और दुनिया में सबसे सस्ती है.
1950 में टीवी सेट पर जैसी तसवीरें देखी जाती थीं, वह चित्र आज के दौर में बिलकुल बदल गया है. प्रभावशाली लिक्विड क्रिस्टल डिस्प्ले (एलसीडी) तकनीक दशकों से हमारे रोजमर्रा के जीवन का अहम हिस्सा बन चुकी है. इस तकनीक का उपयोग सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों जैसे टीवी, लैपटॉप, कंप्यूटर, सेल फोन आदि में किया जाता है.
एलसीडी निर्माण के लिए आवश्यक सबसे महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं में से रबिंग एक है. दृश्य छवि उत्पादन के लिए आवश्यक घटक अर्थात् तरल क्रिस्टल की उचित एंकरिंग को रबिंग के माध्यम से प्राप्त किया जाता है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्रीज में इन-हाउस खपत और अनुसंधान एवं विकास प्रयोजनों के लिए बड़ी रबिंग मशीनें होती हैं. लेकिन वैश्वीकरण के वर्तमान समय में भी, भारत में शोधकर्ता मैन्युअल रबिंग प्रक्रिया निर्भर रहते हैं जो बहुत अच्छे परिणाम नहीं देती.
इसके महत्व को देखते हुए, हैदराबाद विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के एक समूह ने एलसीडी के निर्माण के लिए कम लागत वाली, स्वदेशी रबिंग मशीन को विकसित और डिज़ाइन किया है. दुनिया भर के नए बाजार में अपनी उपस्थिति दर्ज करने की क्षमता रखने वाली यह मशीन भारत की पहली ऐसी मशीन है और दुनिया में सबसे सस्ती भी है.
हैदराबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. सुरजीत धारा कई वर्षों से लिक्विड क्रिस्टल के क्षेत्र में सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं. डॉ. धारा द्वारा डिज़ाइन की गई रबिंग मशीन सरलता से चलाई जा सकती है, एक जगह से दूसरी जगह ले जाई जा सकती है और दुनिया में सबसे सस्ती भी है.
हालाँकि भारत में अभी तक एलसीडी का निर्माण नहीं किया जाता है, फिर भी इस तकनीक का आगमन भविष्य की दिशा में एक कदम सिद्ध होगा. हॉलमार्क ऑप्टो-मेक्ट्रोनिक्स प्राइवेट को स्थानांतरित यह मशीन भारत और विदेशों में व्यावसायिक रूप से बेची जा रही है. वर्तमान में, इस प्रौद्योगिकी का उपयोग अनुसंधान एवं विकास उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है. यह उम्मीद की जाती है कि यह मशीन न केवल भारत में एलसीडी निर्माण को प्रोत्साहित करेगी, बल्कि उत्पादन लागत को भी काफी कम करेगी.
डॉ. सुरजीत धारा से dharasurajit@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है.