दि. 27 जुलाई, 2014 को प्रो. के.जी. सुब्रह्मण्यम द्वारा हैदराबाद विश्वविद्यालय के सरोजिनी नायडू कला एवं संचार संकाय के ललित कला के निवर्तमान विद्यार्थियों की प्रदर्शनी ‘How strong the Breeze, How Precious the Flight’ का उद्घाटन किया गया. इस अवसर पर सलार जंग संग्रहालय के निदेशक श्री. नागेंद्र रेड़्डी और है.वि.वि. के कुलपति महोदय प्रो. रामकृष्ण रामस्वामी भी उपस्थित थे. यह अनोखी प्रदर्शनी दि. 16 अगस्त, 2014 तक सलार जंग संग्रहालय में सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक चलेगी.
वरिष्ठ कलाकार के.जी. सुब्रह्मण्यम के कलाविष्कार के समानांतर में कला विश्व में जगह तलाश रहे युवा कलाकारों का यह प्रयास बेहद सराहनीय है.
इस प्रदर्शनी में जिन विद्यार्थियों की कला का प्रदर्शन हुआ है, वे कहते हैं कि गच्चीबावली और हैदराबाद के प्राकृतिक सौंदर्य ने उनकी कृतियों एक आकार दिया. अन्य विद्यार्थी कहते हैं कि उन्हें ऐतिहासिक और राजनीतिक स्थितियों ने अभिव्यक्त होने के लिए मजबूर किया – महिलाओं की सुरक्षा का मुद्दा, दिल्ली का दुष्कर्म, भारत-पाकिस्तान का विभाजन या वर्तमान में हमारे शहर की शिलाओं, पेड़ों और ऐतिहासिक स्थलों का होने वाला दुर्भाग्यपूर्ण विनाश कुछ उदाहरण हैं. कुछ लोग अपने क्रोध, हताशा, पीड़ा को अपनी अभिव्यक्ति का माध्यम बनाते हैं तो कभी-कभी एब्सर्ड का सहारा लेते हैं. किंतु एक बात तो तय है कि परिवर्तन की इस प्रक्रिया ने उनकी कला को हमेशा के लिए बदल दिया.
इस प्रदर्शनी में भाग लेने वाले कुछ कलाकारों के नाम – अभिलाष सिंहाचलम, सी. आंजनेयुलू, अर्का भट्टाचार्य, अतीन्द्र बाग, बरुण मंडल, चंदन रॉय, देबदत्त साहू, धीरज पेडणेकर, डायना गोम्स, दीपतेज एस. वेर्णेकर, फ़ैज़ा हसन, गिरीशचन्द्र बेहेरा, जगदीश रेड्डी, कालिदास मोहन एम., के. साई शीला, मनाली रावत, एन. मोनिका, मोनिका बिजलानी, बी. नागेश्वर राव, प्रजीश, पूर्बालक्ष्मी बोरा, राधिका राममूर्ति, एल. राजेश, सहेली बसु, संदीप महाली, संतू मंडल, सायन गुप्ता, शाजिल पडियूर, शेखर शिंदे, सिजिना, वी.वी. सोम दास, सुजीश ओंचेरी, सईदा अफ़्ज़ा आदि.