देश भर में कोविड-19 के कारण पूर्णबंदी के दौरान शैक्षिक संस्थाओं द्वारा कई पद्धतियों का आविष्कार किया गया है. इसी क्रम में अब प्रतिष्ठित संस्थान हैदराबाद विश्वविद्यालय ने एम.फिल./पीएच.डी. शोध निबंध/शोध प्रबंध ऑनलाइन प्रस्तुत करने की पहल की है. कागज़रहित कार्यालय की ओर यह विश्वविद्यालय का एक और कदम है.
ज्ञात हो, कि पिछले दो महीनों में है.वि.वि. में 20 से अधिक पीएच.डी. की मौखिक परीक्षाएँ वीड़ियो कॉन्फरेन्सिंग के माध्यम से पूरी की गई हैं. साथ ही, विश्वविद्यालय ने एम.फिल./पीएच.डी. शोध निबंध/शोध प्रबंध के लिए निर्धारित समय भी कम कर दिया है. यह प्रक्रिया अब तक कागज़ी प्रतियों के माध्यम से होती थी. ये प्रतियाँ फिर डाक से बाह्य परीक्षकों को भेजी जाती थी, जो इनकी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए दो से छह महीने तक का समय लेते थे. इसके उपरांत विश्वविद्यालय में मौखिक परीक्षा का आयोजन होता था.
मूल्यांकन के समय को कम करने के लिए और विशेषकर इस पूरी प्रक्रिया को कागज़रहित बनाने के लिए है.वि.वि. ने 1 जून, 2020 से एम.फिल./पीएच.डी. शोध निबंध/शोध प्रबंध पर केवल ऑनलाइन माध्यम से कार्यवाही करने का निर्णय किया है. इस नवीन प्रक्रिया के अंतर्गत एम.फिल. और पीएच.डी. के छात्र अपने लॉगइन आईडी से विश्वविद्यालय के ई-गवर्नेंस पोर्टल (मे. नियोस्क्रिप्ट टेक्नोलॉजीस द्वारा विकसित) के माध्यम से रूप रेखा/शोध निबंध/शोध प्रबंध प्रस्तुत करते हैं. इसके साथ उन्हें पाठ्यक्रम समाप्ति प्रमाणपत्र और मौलिकता रिपोर्ट भी देनी होती है. कुलपति महोदय द्वारा बाह्य परीक्षकों की ऑनलाइन नियुक्ति के बाद स्वीकृति के लिए रूप रेखा भेजी जाती है. स्वीकृति के उपरांत परीक्षक को एक स्वचालित ईमेल प्राप्त होता है, जिसमें यूज़र विवरण के साथ शोध निबंध/शोध प्रबंध के ऑनलाइन मूल्यांकन हेतु दिए जाने वाले समय का विवरण भी होता है. विलंब होने की स्थिति में परीक्षकों को तिथियों के बारे में स्वचालित अनुस्मारक दिए जाते हैं. अधिक देरी होने की स्थिति में यह कार्य अगले परीक्षक को सौंपा जाता है. विश्वविद्यालय को किसी कागज़ी प्रति की आवश्यकता ही नहीं होती. रिपोर्ट की प्राप्ति पर ऑनलाइन मौखिक परीक्षा का आयोजन किया जाता है, जिसकी संस्तुतियों को कुलपति महोदय द्वारा ऑनलाइन ही अनुमोदित किया जाता है और परिणाम जारी किए जाते हैं. यह सारी कागज़रहित प्रक्रिया उसी पद्धति से होती है जैसे सर्वोत्कृष्ट शोध जर्नल में प्रकाशन के लिए भेजे जाने वाली पांडुलिपियों के साथ किया जाता है. है.वि.वि. ने इससे एक और कदम आगे बढ़ते हुए एम.फिल. और पीएच.डी. छात्रों को पूर्व-प्रस्तुति संगोष्ठियाँ भी ऑनलाइन करने की अनुमति दी है.
है.वि.वि. के कुलपति महोदय प्रो. अप्पा राव पोदिले ने कहा, “कागज़ी व्यवस्था और मौखिक परीक्षा में उपस्थित रहने की अनिवार्यता समाप्त होने से अब शोध छात्र बहुत कम समय में अपनी मूल्यांकन प्रक्रिया सुगम और सुव्यवस्थित ढंग से पूरी कर पाएँगे. एम.फिल./पीएच.डी. की शोध-प्रस्तुति से उपाधि मिलने तक लगने वाला छह माह का समय अब केवल तीन माह रह जाएगा.”