विख्यात कृषि वैज्ञानिक एवं डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर समाज विज्ञान विश्वविद्यालय (BRAUSS), इंदौर के कुलपति डॉ. आर.एस. कुरील ने हैदराबाद विश्वविद्यालय में 22 अप्रैल, 2015 को आंबेडकर स्मारक व्याख्यान प्रस्तुत किया. डॉ. आंबेडकर के सम्मान में आयोजित होने वाली वार्षिक व्याख्यान शृंखला की यह 13वीं कड़ी थी, जिसका विषय ‘Dr. Ambedkar: Ideology, thoughts and contributions in nation building’ था.
प्रो. ई. हरिबाबू, कुलपति महोदय ने अर्थशास्त्र संकाय के अध्यक्ष डॉ. जी. नांचारय्या के साथ समारोह की अध्यक्षता की. दीप प्रज्ज्वलन और डॉ. आंबेडकर के चित्र पर माल्यार्पण के बाद डॉ. पी.एच. नायक, सह-कुलसचिव, आरक्षण ने स्वागत भाषण दिया. आंबेडकर अध्ययन केन्द्र के अध्यक्ष डॉ. के.वाई. रत्नम ने अतिथि वक्ता का परिचय प्रस्तुत किया.
डॉ. कुरील एक जाने-माने कृषि वैज्ञानिक हैं जिन्होंने कृषि और नीति निर्धारण के क्षेत्र में कई दायित्वों का निर्वहन किया है. आपने भारत में 100 से भी अधिक शोध कार्यक्रमों का कार्यान्वयन किया है और कृषि और नीति निर्धारण संबंधी 137 शोध पत्रों का प्रकाशन किया है. वे कृषि मंत्रालय में निदेशक के पद पर भी कार्य कर चुके हैं. वर्ष 2010-2013 की अवधि में उन्होंने नरेन्द्र देव कृषि और प्रौद्योगिकी वि.वि., फ़ैज़ाबाद (उ.प्र.) में कुलपति के रूप में अपनी सेवाएँ प्रदान की हैं.
डॉ. कुरील ने सबसे पहले अपने कॉलेज के दिनों को याद किया जब उन्होंने आंबेडकर के विचारों को जाना था. उन्होंने आगे बताया कि अपनी शोध-यात्रा के दौरान उन्हें सदैव आंबेडकर के अध्यवसाय ने प्रेरणा दी है. उन्होंने कहा कि समाज को सुरक्षा और सम्मान दिलाने के लिए आंबेडकर ने अथक प्रयास किए.
डॉ. आंबेडकर की विचारधारा के तीन मुख्य पक्षों – शिक्षा, संघर्ष और व्यवस्था – पर अपने विचार रखते हुए डॉ. कुरील ने कहा कि आंबेडकर के विचारों की शक्ति हमें शिक्षा और प्रेरणा देती है. इन विचारों को अपनाने वाले अपने गंतव्य तक सहज ही पहुँच जाते हैं.
भारत के संविधान की परिकल्पना के अलावा कतिपय महत्वपूर्ण कार्य भी डॉ. आंबेडकर ने किए जैसे – रिज़र्व बैंक की स्थापना, योजना आयोग और कई अन्य संस्थाएँ जो सामाजिक समानता और न्याय सुनिश्चित करती हैं. डॉ. कुरील ने इस बात पर बल दिया कि सामाजिक मुद्दों को सुलझाने के लिए हमें विश्वविद्यालय स्तर पर उनका वैज्ञानिक अध्ययन करना चाहिए.