On India’s 75th Independence Day, the Vice-Chancellor of the University of Hyderabad (UoH), Prof. B J Rao hoisted the National Flag at Prof. Gurbaksh Singh Maidan in the University campus, in the presence of Deans, Heads, faculty, Registrar, Officers, students and staff.

Commemorating the occasion, the Vice-Chancellor, Prof. B J Rao, congratulated the University fraternity and paid tributes to the leaders who brought us independence, and to our institutional leaders, who laid the foundation of our excellent University, which has emerged as an Institution of Eminence. The University’s successive Vice-Chancellors have not only built, but also nurtured the system that has been efficient and also runs on its own steam.

“I believe we have the potential to make our university the best, not only in India, but also among the very best globally. Not trying for it or not getting there is NOT an option for us!” said Prof. B J Rao.

Prof. B J Rao in his first Independence day address mentioned some of the activities that were carried out since the conferring of the status of the Institution of Eminence (IoE), and praised the steps initiated like cutting edge research projects across disciplines, many with good social impact and addressing key issues of our nation; interdisciplinary teaching programs; upgrading essential infrastructure.

He also mentioned some of the significant achievements of the university faculty, students and alumni who have received many recognitions nationally and globally.

“Over the last four decades University of Hyderabad has established itself as a research university with world class contributions from various committed faculty members, carrying out intense research work in their respective disciplines. We have more than 200 ongoing research projects operated by the faculty members with a total outlay of 290 crore rupees funded by various National and International Agencies. We are in the forefront in creating the innovation ecosystem in the campus and is probably one of the very few universities hosting 3 incubation centres, Technology Business Incubator (TBI) supported by DST, Technology Incubation and Development of Entrepreneurs (TIDE) supported by the Ministry of Electronics and Information Technology and BioNEST supported by BIRAC.  These three incubators hold 50 start-ups thereby creating a vibrant start-up ecosystem on the campus. Within a span of 3 years UoH-BioNEST has been awarded Best Emerging Bioincubator by BIRAC 2020” Prof. B J Rao mentioned.

“By 2040, all Higher Education Institutions shall aim to become multidisciplinary institutions, each of which will aim to have 3,000 or more students. There shall be, by 2030, at least one large multidisciplinary HEI in or near every district”, recalled the Vice-Chancellor as mandated in the National Education Policy 2020.

Prof. B J Rao advised the University fraternity to continue to play a major role in increasing the green cover in the campus jointly with the Horticulture Department. “While increasing the green cover, our focus will be to restore natural habitats, so that the green cover turns out to be a well-balanced ecosystem”, he said.

Vice-Chancellor, Prof. B J Rao concluded his speech by extending warm greetings of the 75th Independence Day to everyone, with tributes to our national leaders who brought this freedom and dedicated the University’s work and contributions to the nation and its needs.

Later, Prof. B J Rao and Shri P. Sardar Singh planted trees on this auspicious occasion.

Prof. Arun Agarwal, senior most professor, hoisted the National Flag at the Golden Threshold campus of the University.

             

The vice-chancellor, Prof. B. J. Rao earlier in the day took part in the 5K run organised on the campus as part of the 75th Independence Day.

The full speech of the Vice-Chancellor both in Hindi and English can be read below:

 

75वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर

हैदराबाद विश्वविद्यालय के कुलपति महोदय का संदेश

 

प्रिय साथियो, मेरे प्रिय छात्रो और हैदराबाद विश्वविद्यालय समुदाय के सदस्यो, माननीय अतिथि, देवियो और सज्जनो. इस अवसर पर यह मेरा आपको पहला संबोधन है. हैदराबाद विश्वविद्यालय के 10वें कुलपति के रूप में हाल ही मेरे पदभार संभालने पर आपने जिस गर्मजोशी से मेरा स्वागत किया, उसके लिए धन्यवाद. विश्वविद्यालय से संबंधित कई लोगों से मैंने समूह में या एकल रूप में बात की, कुछ विभागों/संकायों का दौरा किया और शेष का दौरा जल्दी ही करनेवाला हूँ. विश्वविद्यालय को जानने की इस यात्रा का यह आरंभ मात्र है और मैंने पाया है कि इस व्यवस्था से हम असाधारण प्रतिभा और संभावनाओं का सृजन कर सकते हैं.

आप सबको अपने प्रिय देश भारत के 75वें स्वतंत्रता दिवस की बधाई देते हुए मुझे अपार हर्ष हो रहा है. आइए, हम अपने उन नेताओं को श्रद्धांजलि अर्पित करें जिन्होंने हमें स्वतंत्रता और स्वाधीनता का तोहफा दिया. साथ ही, संस्थान के उन व्यक्तियों का भी पुण्यस्मरण करें जिन्होंने ‘भारतीय विश्वविद्यालय प्रणाली की शिरोमणि’ अर्थात् इस विश्वविद्यालय का निर्माण किया, जो आज एक प्रतिष्ठित संस्थान के रूप में उभर कर सामने आया है. हमारे पूर्ववर्ती कुलपतियों ने न केवल एक व्यवस्था का निर्माण किया बल्कि उसे इस तरह से सींचा कि वह अपनी ही शक्ति के बलबूते पर आगे बढ़ने में सक्षम बन सके.

हम सभी महामारी के कठिनतम दौर से गुजरे हैं, विशेषकर दूसरी लहर के समय जब हमारे कई साथियों ने अपने प्राण गँवाए. हमारे अपने विश्वविद्यालय में भी कई बेशकीमती जानों का नुकसान हुआ है और आज हम उनके परिवारों का स्मरण कर प्रार्थना करते हैं कि उन्हें यह दुख सहने की शक्ति मिले.

पिछले कुछ समय में विश्वविद्यालय की कुछ विशिष्ट उपलब्धियों का मैं यहाँ पर उल्लेख करना चाहूँगा.

प्रतिष्ठित संस्थान

भारत सरकार ने हमें प्रतिष्ठित संस्थान का दर्जा देकर सम्मानित किया है. इससे हमें प्रोत्साहन मिलता है कि हम वैश्विक संस्थानों से प्रतिस्पर्धा करने के लक्ष्य को प्राप्त कर सकें और अपने छात्रों को शैक्षिक उत्कृष्टता, भावी समझदार नेतृत्व और जिम्मेदार नागरिकता का पर्याय बना सकें. यह दर्जा मिलने के बाद, प्रतिष्ठित संस्थान ने कई विषयों में नवीनतम शोध परियोजनाओं का आरंभ किया है, जिनमें से कई अच्छे सामाजिक प्रभाव वाली परियोजनाएँ हैं जो हमारे देश के मुख्य मुद्दों का समाधान करती हैं, अंतरविषयक शिक्षण कार्यक्रमों की शुरुआत करती हैं और हमारी आधारभूत संरचना को मजबूत बनाती हैं. 4 शोध कॉल और 1 शिक्षण कॉल के साथ प्रतिष्ठित संस्थान की गतिविधियों का शुभारंभ हो चुका है. मैं शिक्षक, अधिकारियों और शोधार्थियों से अपील करता हूँ कि वे भारत सरकार द्वारा निर्दिष्ट प्रतिष्ठित संस्थान के उच्च उद्देश्यों की पूर्ति के लिए अपनी प्रतिभागिता को और मुखर करें. प्रतिष्ठित संस्थान के शासी बोर्ड ने विविध योजनाओं और परियोजनाओं की इस प्रकार परिकल्पना की है जिससे हमें और हमारे छात्रों को वैश्विक परिदृश्य में स्थापित होने का अवसर मिलेगा. आशा है कि प्रतिष्ठित संस्थान के अधीन प्रदर्शन-आधारित प्रोत्साहन के चलते हैदराबाद विश्वविद्यालय का शिक्षक समुदाय अपने वर्तमान प्रकाशनों की गुणवत्ता को और भी बेहतर बनाएगा. प्रकाशनों के आलेख को ऊँचा उठाने के महत्वपूर्ण कार्य के साथ ही हम देश और विश्व के ज्ञान-भंडार की श्रीवृद्धि में भी बहुमूल्य योगदान करेंगे.

संस्कृत अध्ययन विभाग ने प्रतिष्ठित संस्थान के सर्वप्रथम पाठ्यक्रम We Live, you Live and the mute ‘Other’ का आरंभ किया है. मुझे विश्वास है कि कई और पाठ्यक्रम भी शुरू किए जाएँगे.

रैंकिंग

अपना विश्वविद्यालय वैश्विक मानकों की पूर्ति करता है, जो शोध और शिक्षण की गुणवत्ता की निरंतरता का परिचायक है. क्यूएस रैंकिंग 2022 में हम फिलहाल विश्व में 651-700 क्रम में हैं और हमारे चार विभाग (अंग्रेजी, भौतिकी, जीव विज्ञान, रसायन विज्ञान) विषय रैंकिंग्स में भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुके हैं. अब हम विश्व के शीर्ष विश्वविद्यालयों में गिने जाते हैं और 50 वर्ष से कम आयु के तेज़ी से बढ़नेवाले 150 संस्थानों में शुमार हैं. एन.आई.आर.एफ. 2020 में विश्वविद्यालय को भारतीय विश्वविद्यालयों में छठा और अन्य श्रेणी में पंद्रहवाँ स्थान प्राप्त हुआ है. आरयूआर रैंकिंग्स के शीर्ष 6 स्थानों में स्थान प्राप्त करनेवाला एकमात्र विश्वविद्यालय हैदराबाद विश्वविद्यालय है. (अन्य संस्थान आईआईएससी, आईआईटी और आईआईएसईआर-पुणे). वर्ष 2020 के 363 रैंक से आगे बढ़कर हम अब वर्ष 2021 में 350 रैंक तक पहुँचे हैं. यह गर्व का विषय है कि ताज़ा नेचर इंडेक्स 2021 रैंकिंग्स के शैक्षिक भाग में है.वि.वि. को भारतीय विश्वविद्यालयों में प्रथम और अन्य सभी संस्थानों में 17वाँ स्थान प्राप्त हुआ है. वर्तमान संदर्भ में ये रैंकिंग्स महत्वपूर्ण तो हैं ही, यह भी आवश्यक है कि हम देश और विश्व की बुद्धिजीवी गतिविधियों के केंद्र के रूप में प्रभाव उत्पन्न कर सकें, जो वास्तव में हैदराबाद विश्वविद्यालय की विरासत है.

प्रवेश

हमारे विश्वविद्यालय को शैक्षिक वर्ष 2021-22 के लिए 116 स्नातकोत्तर और शोध कार्यक्रमों की 2328 सीटों के लिए रिकॉर्ड 62,458 आवेदन मिले. (अर्थात् एक सीट के लिए औसत 25 आवेदन!) हैदराबाद विश्वविद्यालय को विदेशी नागरिकों से भी रिकॉर्ड 1512 आवेदन मिले, जो पिछले वर्ष से 5-6 गुना अधिक है.

आईक्यूएसी

हाल की गतिविधियों के मद्देनज़र और शैक्षिक अखंडता के बारे में यूजीसी के दिशानिर्देशों के देखते हुए विश्वविद्यालय ने आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन कक्ष के दायित्व का विस्तार किया है तथा भर्ती और पदोन्नतियों के अपने मानदंडों को और भी ऊँचा करने का लक्ष्य रखा है. आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन कक्ष वर्ष 2021 के एनएएसी के चौथे चक्र के पुन:प्रत्यायन की तैयारी कर रहा है. इस कार्य के लिए हम सबको मिलकर आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन कक्ष को और भी सुदृढ़ बनाना होगा. यह कक्ष न केवल हमें एनएएसी-2021 के लिए अच्छी स्थिति में लाएगा बल्कि हमारी ताकत और कमजोरियों पर काम करते हुए आगे का मार्ग प्रशस्त करेगा.

शोध परियोजनाएँ और पेटेंट

विविध राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों से वित्तपोषित और 290 करोड़ रुपये मूल्य वाली 200 से अधिक वर्तमान शोध परियोजनाओं को हमारा शिक्षक समुदाय संचालित कर रहा है. एक परियोजना का मूल्य लगभग 1.5 करोड़ रुपये का है, जो कि निस्संदेह गर्व की बात है! मुझे यह जानकर खुशी हुई कि पिछले कुछ वर्षों में विश्वविद्यालय के शिक्षकवर्ग ने भारत और विदेश में 60 पेटेंट फाइल किए हैं, जिनमें से 21 स्वीकृत हुए हैं. यह हमारी शक्ति को दर्शाता है, जिसे हमें और भी मजबूत बनाना है.

उपलब्धियाँ

विश्वविद्यालय के शिक्षकों, छात्रों और पूर्व-छात्रों ने राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर कई उपलब्धियाँ हासिल की हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं –

शिक्षक

  • डॉ. सुरजीत धारा, प्रोफेसर, भौतिकी संकाय को एशियन साइंटिस्ट मैगज़िन द्वारा 100 एशियाई वैज्ञानिकों की सूची में स्थान प्राप्त.
  • सेंटर फॉर पब्लिकेशन एथिक्स, सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय द्वारा किए सर्वेक्षण में है.वि.वि. के दो शिक्षक शीर्ष दो स्थानों पर काबिज़ हैं. दोनों ही अंग्रेजी विभाग के शिक्षक हैं – प्रथम स्थान पर प्रो. के. नारायण चंद्रन और दूसरे स्थान पर प्रो. प्रमोद के. नायर स्थित हैं.
  • रसायन विज्ञान संकाय के प्रो. अनुनय सामंता को उनके शोध के लिए प्रतिष्ठित विज़िटर पुरस्कार, 2020 के लिए चुना गया. यह हैदराबाद विश्वविद्यालय के लिए दूसरा विज़िटर पुरस्कार था. (अंग्रेजी विभाग के प्रो. प्रमोद के. नायर को 2018 में कला-मानविकी-समाज विज्ञान के लिए). भविष्य में हम और भी पुरस्कारों की आकांक्षा करते हैं.
  • हमारे कुछ शिक्षक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों, जर्नल और प्रकाशक संपादकीय बोर्ड और शोध परियोजनाओं की सलाहकार मंडली के सदस्य हैं. हमारा विश्वविद्यालय शोध इंक्यूबेटर इकोसिस्टम ASPIRE एक अनोखी और सफल पहल है. हम इसे भविष्य में और भी बेहतर बनाना चाहते हैं.

छात्र

  • हमारे छात्रों और शोध छात्रों को प्रसिद्ध अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों के विविध सम्मर स्कूल कार्यक्रमों के लिए चुना गया.
  • 10 पीएच.डी. शोधार्थियों को गौरवपूर्ण प्रधानमंत्री शोध फेलो (PMRF) योजना के लिए चुना गया. इस विशिष्ट उपलब्धि को और अधिक विस्तार देने की हमारी योजना है.

पूर्व-छात्र

यह खुशी की बात है कि हमारे पूर्व-छात्र प्रतिष्ठित पदों पर नियुक्त हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं –

  • अर्थशास्त्र संकाय के पूर्व-छात्र प्रोफेसर उमाकांत दाश ने प्रतिष्ठित ग्रामीण प्रबंधन संस्थान, आणंद (IRMA) के प्रबंधक के रूप में कार्यभार ग्रहण किया.
  • अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान और अनुवाद अध्ययन केंद्र (CALTS) के श्री. रिंदोन कुंडु को श्री श्री सेंटर फॉर ट्रांसलेशन और इंटरप्रिटिंग स्टडीज़ के संस्थापक निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया.
  • प्रबंधन अध्ययन संकाय के श्री. अमित कुमार निगम वर्तमान में राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC) के उप निदेशक के रूप में तैनात हैं.

हमारे पूर्व-छात्रों की ये उपलब्धियाँ इस बात को रेखांकित करती हैं कि विश्वभर के हमारे पूर्व-छात्रों से हमें अपने संबंध और प्रगाढ़ बनाने चाहिए.

शोध और नवाचार पद्धति

पिछले चार दशकों में हैदराबाद विश्वविद्यालय ने अपने आपको एक शोध विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित किया है, जिसमें विविध विषयों में उत्कृष्ट शोध कार्य करनेवाले विविध समर्पित शिक्षकों का योगदान शामिल है. विविध राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों से वित्तपोषित और 290 करोड़ रुपये मूल्य वाली 200 से अधिक वर्तमान शोध परियोजनाओं को हमारा शिक्षक समुदाय संचालित कर रहा है. हम परिसर में नवीन प्रणालियाँ बनाने में आगे हैं और संभवत: 3 इंक्यूबेशन केंद्र को चलाने वाले चुनिंदा विश्वविद्यालयों में शामिल हैं – डीएसटी समर्थित टेक्नोलॉजी बिज़नेस इंक्यूबेटर (TBI), इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी का टेक्नोलॉजी इंक्यूबेशन एंड डेवलपमेंट ऑफ एंटरप्रूनर्स (TIDE) और बीआईआरएसी समर्थित बायोनेस्ट (BioNEST). इन तीन इंक्यूबेटरों के 50 स्टार्ट-अप परिसर में स्टार्ट-अप की प्रणाली को समृद्ध बनाते हैं. अपनी स्थापना के तीन वर्ष के भीतर ही है.वि.वि. बायोनेस्ट ने बीआईआरएसी 2020 का बेस्ट इमर्जिंग बायोइंक्यूबेटर का पुरस्कार प्राप्त किया है.

हमने वर्ष 2020 में शोध नवाचार प्रौद्योगिकी और उद्यमिता केंद्र (RITE) बनाया. इस केंद्र के माध्यम से विश्वविद्यालय अपने शोध, नवाचार, प्रौद्योगिकी विकास और अंतरण तथा उद्यमिता की गतिविधियों को एक ही दायरे में लाना चाहता है, जिससे हैदराबाद विश्वविद्यालय भविष्य में एक शोध विश्वविद्यालय के स्थान पर उच्च गति की शोध अंतरण गतिविधियों वाला नवाचार विश्वविद्यालय बन सके.

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के अटल रैंकिंग ऑफ इंस्टीट्यूशन्स ऑन इनोवेशन अचीवमेंट्स (एआरआईआई) 2020 की राष्ट्रीय महत्व की प्रतिष्ठित संस्थाएँ और केंद्रीय विश्वविद्यालय की श्रेणी में हैदराबाद विश्वविद्यालय को 10वाँ स्थान प्राप्त हुआ है. विश्वविद्यालय में नवाचार प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए हम प्रतिष्ठित संस्थान के अधीन एक रिसर्च पार्क की स्थापना करने की भी योजना बना रहे हैं. इस विचार पर काम चल रहा है.

नियोजन (प्लेसमेंट्स)

शैक्षिक वर्ष 2020-21 में, कुल 386 छात्रों को 208 कंपनियों में प्लेसमेंट मिली, जिसमें सर्वश्रेष्ठ पैकेज प्रति वर्ष 17.71 लाख रुपये का रहा. वर्ष 2021-22 की प्लेसमेंट्स भी जारी हैं और क्रिसिल, टीसीएस, जीई, एसेंच्युअर और एचएसबीसी जैसी कंपनियाँ कैंपस प्लेसमेंट्स की तैयारी में जुटी हैं और हमें इस वर्ष भी अच्छे परिणामों की अपेक्षा है.

सामाजिक दायित्व

प्रकृति की सुरक्षा हमारा सामाजिक दायित्व है और मुझे प्रसन्नता है कि मैं विश्व प्रकृति सुरक्षा दिवस के अवसर पर परिसर के विविध स्थानों पर 10,000 से अधिक पौधे लगाने के बृहत कार्य में हिस्सा ले सका. इस कार्य में हैदराबाद मेट्रोपॉलिटन डेवलेपमेंट एथोरिटी (HMDA); वर्ल्ड ग्रीन आर्मी; राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) और स्टूडेंड फॉर डेवलपमेंट ने सहयोग दिया. मैं चाहता हूँ कि बागवानी विभाग के साथ मिलकर समस्त विश्वविद्यालय समुदाय परिसर की हरीतिमा में वृद्धि करने में बृहत् भूमिका निभाएँ. ऐसा करने से प्राकृतिक वास का पुनर्निमाण होगा और पारिस्थितिकी तंत्र में संतुलन आएगा.

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020

वर्ष 2040 तक उच्च शिक्षा के सभी संस्थान बहुविषयक संस्थान बनने का प्रयास करेंगे, जिनमें 3,000 या उससे अधिक छात्र हों. वर्ष 2030 तक, प्रत्येक ज़िले में या उसके निकट एक बड़ा बहुविषयक संस्थान स्थित होगा.

हमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का एक हिस्सा बनना है और उच्च शिक्षा के अन्य संस्थानों के विकास, सामुदायिक भागीदारी और सेवा, विविध शिक्षा-क्षेत्रों में योगदान, प्रणाली हेतु शिक्षकवर्ग का विकास, स्कूली शिक्षा आदि हेतु अपना समर्थन प्रदान करना है. प्रतिष्ठित संस्थान और हमारे रिकॉर्ड को देखते हुए मुझे प्रतीत होता है कि छात्रों की बेहतरी के लिए जिस शिक्षण और शोध की परिकल्पना राष्ट्रीय शिक्षा नीति में की गई है, उसे हैदराबाद विश्वविद्यालय बखूबी निभा पाएगा. राष्ट्रीय शिक्षा नीति और प्रतिष्ठित संस्थान में अंतर्निहित निर्देशों के अनुसार अंतर्राष्ट्रीयकरण के माध्यम से शिक्षकों और छात्रों की विविधता में सुधार लाने का भी मेरा प्रयास रहेगा, जिससे हम उच्च शिक्षा के वैश्विक क्षेत्र में हम वास्तव में कदम बढ़ा सकें.

निष्कर्ष

अभी विश्वविद्यालय की आयु 47 वर्ष की है और इसे भारत के ऐसे शीर्ष उच्च शिक्षा संस्थानों में गिना जाता है, जो सम्मान और मानक प्राप्त करके अन्य संस्थानों के लिए मानदंडों का निर्माण करता है. हमें न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में हमारे विश्वविद्यालय को सर्वश्रेष्ठ बनाना है. मुझे पूरा विश्वास है कि हममें यह क्षमता है. इसके लिए प्रयास करके लक्ष्य को प्राप्त करना ही होगा.

मैं पुन: 75वें स्वाधीनता दिवस के अवसर पर हमें आजादी दिलाने वाले अपने राष्ट्रीय नायकों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए आपको बधाई देता हूँ. इस गौरवशाली और शुभ अवसर पर विश्वविद्यालय के कार्य और योगदान को राष्ट्र की अपेक्षाओं को समर्पित करता हूँ.

जय हिंद! जय भारत!

 

75th Independence Day Speech by Vice-Chancellor

Dear colleagues, my dear students and members of the University of Hyderabad community, honoured guests, ladies and gentlemen. This is my very first address to you on this occasion. Thank you all for all the warm affection and reception I received when I took over as the 10th  VC  of UoH recently. I have met several stakeholders of the University, in groups and in singles, and have visited a few departments/schools, and planning to visit the rest soon. In this journey that has just begun, while I discover the University, I also discover enormous talent and opportunities to harness in the system. Thank you.

Greetings to all of you, I am delighted to address you on this 75th Independence Day of our dear Nation, our Bharath! Let us pay tributes to our leaders who brought us independence and freedom, and to our institutional leaders who built this excellent University as the “crown jewel of Indian University ecosystem”, which has now emerged as an Institution of Eminence. Our successive Vice-Chancellors have not only built but nurtured a system that has been efficient and runs on its own steam. But you will all agree with me that we need to hit newer heights!

All of us have gone through the severity of the Pandemic especially in the second wave where many of our fellow beings lost their lives. At our university too we have lost precious lives and today let us remember and pray for their families to bear this loss.

I would like to mention few significant achievements of the university in the recent times.

Institution of Eminence

We have been conferred with the prestigious Institution of Eminence status by the Government of India. These are encouraging indicators, our goal is to compete with Global Institutions and prepare our students to be academically brilliant, thought-leaders of tomorrow and also responsible citizens. Since the conferring of this status, the IoE has initiated cutting edge research projects across disciplines, many with good social impact and addressing key issues of our nation; interdisciplinary teaching programs; upgrading essential infrastructure. The IoE activities have begun in earnest with the 4 Research Calls and one Teaching Call, and I appeal for greater participation by faculty, officers, researchers in this, to fulfill the IoE’s high mandate from the Honourable Government of India. The IoE’s illustrious Governing Board has enabled the fine tuning of multiple schemes and plans that will propel us and our students into the global ranks. With performance-based incentives under the IoE, UoH faculty is poised to enhance the quality of their already considerable publications. In addition to augmenting the publication indices, which are crucial, we will also contribute in substantive form to the knowledge pool of the country and the world.

The Department of Sanskrit Studies has launched the FIRST Institution of Eminence Course – ‘We Live, you Live and the mute ‘Other’. Many more, I believe, will be launched soon

Rankings 

Our University matches global standards, made possible with consistently good quality of research and teaching. In the QS Rankings 2022, we are currently in the 651-700 range globally, with four of our departments (English, Physics, Life Sciences, Chemistry) in the subject rankings as well. We are now among the top Universities in the World overall, and among the top 150 among the fastest growing under the age of 50. The University has been ranked at Six among the Universities in India and at Fifteen in the Overall category by the National Institutional Ranking Framework 2020.  Out of the 13 Indian institutions figuring in the RUR rankings, UoH is the only University to be ranked in the top 6 in India (the others are IISc, the IITs and IISER-Pune). Its global rank stands at 350 in 2021, showing a marked improvement from the 363rd position in 2020. UoH is ranked first among Indian Universities and 17th among all institutions in the Academic sector in the latest Nature Index 2021 ranking which is a matter of pride.  While the rankings are important in the current context, it is also important to have a focused impact as a hub of intellectual activities in the country and the world, which will be the true legacy of the UoH.

Admissions

Our University received a record number of 62,458 applications for 2328 seats (i.e. about 25 applications per seat on an average!) in 116 postgraduate and research programmes for the academic year 2021-22. UoH has also received a record number of 1512 applications from Foreign Nationals which is a 5-6 fold jump over that of the previous year.

IQAC

The University has amplified the responsibilities of the Internal Quality Assurance Cell (IQAC) to keep pace with recent developments and injunctions from the UGC about Academic Integrity, and is seeking to establish higher benchmarks for recruitment and promotions.    The IQAC is in the process of preparing the university for the fourth cycle of reaccreditation by NAAC in 2021.  Lets all get-together and strengthen IQAC for this task. IQAC, besides helping us position well for NAAC-2021, will also help us calibrate our own strengths and weaknesses so that we constantly course-correct our path. 

Research projects & Patents

We have more than 200 ongoing research projects operated by the faculty members with a total outlay of 290 crore rupees funded by various national and international agencies, amounting on the average to Rs. 1.5 crores per project, an impressive feat indeed! I am happy to learn that over the years, the faculty of the University have filed 60 patents in India and abroad, out of which 21 have been granted. This is a true indication of our strength and we build on it.

Achievements

The university faculty, students and alumni have received many recognitions nationally and globally, a few of them I am listing below;

Faculty

  • Surajit Dhara, Professor, School of Physics has been selected as an honouree on the Asian Scientist 100 list in the 2021 by Asian Scientist Magazine.
  • Two of UoH faculty continue to occupy the top places in South Asia, (Arts and Humanities) Professor K Narayana Chandran at the First rank and Professor Pramod K Nayar (both from the Dept of English) at Second as per the survey done by the Centre for Publication Ethics, Savitribai Phule Pune University.
  • Anunay Samanta from the School of Chemistry has been chosen for the prestigious Visitor’s Award, 2020, for his Research in Physical Sciences. This is the second Visitor’s Award for UoH (Pramod K Nayar of English, received it for Arts-Humanities-Social Sciences in 2018) and we expect many more in the future. Some of our faculty have also been selected as Advisory Board members at prestigious National and International Institutions, Journal and publisher editorial boards and research projects by globally famous clusters and institutions. Our University research incubator ecosystem ASPIRE is a unique enterprise that requires high applause and we intend to scale it up further in future.

Students

 Our Student and Research Scholars have been selected for various summer school programs in renowned international institutions.

10 Ph.D. scholars have been selected for the prestigious Prime Minister’s Research Fellows (PMRF) scheme This is a significant achievement on which we plan to build on.

 Alumni

It’s good to hear our Alumni being posted in reputed positions and I would like to mention some of them.

  • Professor Umakant Dash, an alumnus of the School of Economics, has joined the prestigious Institute of Rural Management Anand (IRMA) as Director.
  • Rindon Kundu, of the Centre for Applied Linguistics and Translation Studies (CALTS) is appointed as the Founder Director of the Sri Sri Centre for Translation and Interpreting Studies (SSCTIS).
  • Amit Kumar Nigam, of the School of Management Studies, is currently posted as Deputy Director in National Cooperative Development Corporation (NCDC).
  • These laurels of our Alumni members remind us that we need to evolve mechanisms here at the university to connect with all our alumni globally more robustly.

Research and Innovation ecosystem

Over the last four decades University of Hyderabad has established itself as a research university with World class contributions from various committed faculty members carrying out intense research work in their respective disciplines. We have more than 200 ongoing research projects operated by the faculty members with a total outlay of 290 crore rupees funded by various national and international agencies. We in the forefront in creating the innovation ecosystem in the campus and is probably one of the very few universities hosting 3 incubation centres, Technology Business Incubator (TBI) supported by DST, Technology Incubation and Development of Entrepreneurs (TIDE) supported by Ministry of Electronics and Information Technology and BioNEST supported by BIRAC.  These three incubators hold 50 start-ups there by creating a vibrant start-up ecosystem in the campus. Within a span of 3 years UoH-BioNEST has been awarded Best Emerging Bioincubator by BIRAC 2020.

We have created a Centre for Research Innovation Technology and Entrepreneurship (RITE) in 2020.  Through this centre university would like to channelize its research, innovation, technology development and transfer, and entrepreneurship activities under a single umbrella that in future can transform University of Hyderabad from a Research University to Innovation University with high translational research activities.

The University of Hyderabad has been ranked 10th in the prestigious Institutes of National Importance and central universities category  in the Union Education Ministry’s Atal Ranking of Institutions on Innovation Achievements (ARIIA) 2020. To augment the innovation ecosystem in the university we are also planning to establish a Research Park as part of IoE. A conceptual framework is being planned.

Placements 

For the academic year 2020-21, a total of 386 students were placed in 208 companies with a highest package of Rs;17.71 lakhs per annum. The placements for 2021-22 are also in progress and companies such as Crisil, TCS, GE, Accenture, and HSBC are in the process of conducting campus placements and we hope to do very well again. 

Social Responsibility

It’s our Social Responsibility to Conserve Nature and I am happy to be part of the Mega Plantation drive where 10,000 saplings were planted in different locations in the campus on the occasion of the World Nature Conservation Day with the help of the Hyderabad Metropolitan Development Authority (HMDA); World Green Army; National Service Scheme (NSS) and Student for Development. I would like the University fraternity to continue to play a major role in increasing the green cover in the campus jointly with the Horticulture Department. While increasing the green cover, our focus will be to restore natural habitats, so  that the green cover turns out to be a well-balanced ecosystem.   

National Education Policy 2020

By 2040, all Higher Education Institutions  shall aim to become multidisciplinary institutions, each of which will aim to have 3,000 or more students. There shall be, by 2030, at least one large multidisciplinary HEI in or near every district.

We need to be a part of NEP 2020 and support other Higher Education Institutions  in their development, community engagement and service, contribution to various fields of practice, faculty development for the system, and support to school education. With the IoE and our record, I envisage the University of Hyderabad imparting the kind of teaching and research that the NEP envisions for the betterment of our students. I also look forward to improving our faculty and student diversity through the internationalization that the NEP and the IoE mandate encourages, making us a truly global player in Higher Education.  While implementing NEP, our challenge is to focus simultaneously on the metrics of performance, and on qualitative performance

Conclusion

The University is now 47 years young and is regarded as one of the top Universities in India in the area of higher education, achieving honours and attaining standards that are a benchmark for other institutions. Let us all work towards making our university the best not only in India, but also among the very best globally. I believe we have the potential to get there. Not trying for it or not getting there is NOT an option for us!

I conclude with warm greetings, once again, on this 75th Independence Day to everyone present here with tributes to our national leaders who brought us this freedom.   I take this opportunity, on this glorious and auspicious occasion, to dedicate the University’s work and contributions to the nation and its needs.

JAI HIND! JAI BHARATH!